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यथा॒ वातः॑ पुष्क॒रिणीं॑ समि॒ङ्गय॑ति स॒र्वतः॑। ए॒वा ते॒ गर्भ॑ एजतु नि॒रैतु॒ दश॑मास्यः ॥७॥

English Transliteration

yathā vātaḥ puṣkariṇīṁ samiṅgayati sarvataḥ | evā te garbha ejatu niraitu daśamāsyaḥ ||

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Pad Path

यथा॑। वातः॑। पु॒ष्क॒रिणी॑म्। स॒म्ऽइ॒ङ्गय॑ति। स॒र्वतः॑। ए॒व। ते॒। गर्भः॑। ए॒ज॒तु॒। निः॒ऽऐतु॑। दश॑ऽमास्यः ॥७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:78» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:20» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

कैसा गर्भ और जन्म इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यथा) जिस प्रकार से (वातः) पवन (पुष्करिणीम्) छोटे तालाबों को (सर्वतः) सब ओर से (समिङ्गयति) उत्तम प्रकार हिलाता है, वैसे (एवा) ही (ते) आपका (गर्भः) जो धारण किया जाता वह गर्भ (एजतु) कंपित होवे और (दशमास्यः) दश महीनों में हुआ (निरैतु) निकले, ऐसा जानो ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो स्त्रीपुरुष ब्रह्मचर्य्य से विद्या को पढ़ के विवाह करें तो दशवें मास में प्रसव हो, ऐसा जानना चाहिये ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

कीदृशो गर्भो जन्म चेत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा वातः पुष्करिणीं सर्वतः समिङ्गयति तथैवा ते गर्भ एजतु दशमास्यो निरैत्विति विजानीत ॥७॥

Word-Meaning: - (यथा) येन प्रकारेण (वातः) वायुः (पुष्करिणीम्) अल्पान् तडागान् (समिङ्गयति) सम्यक् चालयति (सर्वतः) (एवा) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (ते) तव (गर्भः) यो गृह्यते (एजतु) कम्पताम् (निरैतु) निर्गच्छतु (दशमास्यः) दशसु मासेषु भवः ॥७॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यदि स्त्रीपुरुषा ब्रह्मचर्येण विद्यामधीत्य विवाहं कुर्युस्तदा दशमे मासे प्रसवः स्यादिति वेदितव्यम् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे स्त्री-पुरुष ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्या शिकून विवाह करतात तेव्हा दहाव्या महिन्यात प्रसव व्हावा, हे जाणून घ्यावे. ॥ ७ ॥