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इ॒ह त्या पु॑रु॒भूत॑मा पु॒रू दंसां॑सि॒ बिभ्र॑ता। व॒र॒स्या या॒म्यध्रि॑गू हु॒वे तु॒विष्ट॑मा भु॒जे ॥२॥

English Transliteration

iha tyā purubhūtamā purū daṁsāṁsi bibhratā | varasyā yāmy adhrigū huve tuviṣṭamā bhuje ||

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Pad Path

इ॒ह। त्या। पु॒रु॒ऽभूत॑मा। पु॒रु। दंसां॑सि। बिभ्र॑ता। व॒र॒स्या। या॒मि॒। अध्रि॑गू॒ इत्यध्रि॑ऽगू। हु॒वे। तु॒विःऽत॑मा। भु॒जे ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:73» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे स्त्रि ! जिन (पुरुभूतमा) अत्यन्त बहुत व्यापक (पुरु) बहुत (दंसांसि) कर्म्मों को (बिभ्रता) धारण करते हुए (वरस्या) अत्यन्त श्रेष्ठ और (तुविष्टमा) अत्यन्त बलिष्ठ (अध्रिगू) अधिक चलनेवालों को (इह) इस संसार में (भुजे) भोग के लिये (हुवे) स्वीकार करता हूँ, जिन दोनों से इष्टसिद्धि को (यामि) प्राप्त होता हूँ (त्या) उन दोनों को तू भी संप्रयुक्त कर ॥२॥
Connotation: - जहाँ स्त्री और पुरुष तुल्य गुण, कर्म्म, स्वभाव और सुरूपवान् हैं, वहाँ सम्पूर्ण पदार्थविद्या होती है ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे पत्नि ! यौ पुरुभूतमा पुरु दंसांसि बिभ्रता वरस्या तुविष्टमाऽध्रिगू इह भुजे हुवे याभ्यामिष्टसिद्धिं यामि त्या त्वमपि संप्रयुङ्क्ष्व ॥२॥

Word-Meaning: - (इह) (त्या) तौ (पुरुभूतमा) अतिशयेन बहुव्यापकौ (पुरू) बहूनि (दंसांसि) कर्म्माणि (बिभ्रता) धरन्तौ (वरस्या) अतिशयेन वरौ (यामि) प्राप्नोमि (अध्रिगू) अधिकगन्तारौ (हुवे) स्वीकरोमि (तुविष्टमा) अतिशयेन बलिष्ठौ (भुजे) भोगाय ॥२॥
Connotation: - यत्र स्त्रीपुरुषौ तुल्यगुणकर्म्मस्वभावसुरूपौ वर्त्तेते तत्र सकलपदार्थविद्या जायते ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जेथे स्त्री-पुरुष तुल्य गुण, कर्म स्वभावाचे व रूपाचे असतात तेथे संपूर्ण पदार्थविद्या असते. ॥ २ ॥