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उप॑ नः सु॒तमा ग॑तं॒ वरु॑ण॒ मित्र॑ दा॒शुषः॑। अ॒स्य सोम॑स्य पी॒तये॑ ॥३॥

English Transliteration

upa naḥ sutam ā gataṁ varuṇa mitra dāśuṣaḥ | asya somasya pītaye ||

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Pad Path

उप॑। नः॒। सु॒तम्। आ। ग॒त॒म्। वरु॑ण। मित्र॑। दा॒शुषः॑। अ॒स्य। सोम॑स्य। पी॒तये॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:71» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:9» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वानों के गुणों को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मित्र) मित्र (वरुण) श्रेष्ठ ! आप दोनों (अस्य) इस (दाशुषः) देनेवाले के (सोमस्य) बड़ी औषधियों के रस को (पीतये) पीने के लिये (नः) हम लोगों के (सुतम्) उत्पन्न किये हुए पदार्थ के (उप) समीप में (आ, गतम्) आइये ॥३॥
Connotation: - मनुष्य धार्मिक विद्वानों को बुलाकर सदा उनका सत्कार करें ॥३॥ इस सूक्त में मित्र श्रेष्ठ और विद्वानों के गुण वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह इकहत्तरवाँ सूक्त और नववाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणानाह ॥

Anvay:

हे मित्र वा वरुण ! युवामस्य दाशुषः सोमस्य पीतये नः सुतमुपागतम् ॥३॥

Word-Meaning: - (उप) समीपे (नः) अस्माकम् (सुतम्) निष्पन्नम् (आ) (गतम्) आगच्छतम् (वरुण) श्रेष्ठ (मित्र) मित्र (दाशुषः) दातुः (अस्य) (सोमस्य) महौषधिरसस्य (पीतये) पानाय ॥३॥
Connotation: - मनुष्या धार्मिकान् विदुष आहूय सदा सत्कुर्वन्त्विति ॥३॥ अत्र मित्रावरुणविद्वद्गुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्येकसप्ततितमं सूक्तं नवमो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी धार्मिक विद्वानांना आमंत्रित करून सदैव त्यांचा सत्कार करावा. ॥ ३ ॥