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शुचिः॑ ष्म॒ यस्मा॑ अत्रि॒वत्प्र स्वधि॑तीव॒ रीय॑ते। सु॒षूर॑सूत मा॒ता क्रा॒णा यदा॑न॒शे भग॑म् ॥८॥

English Transliteration

śuciḥ ṣma yasmā atrivat pra svadhitīva rīyate | suṣūr asūta mātā krāṇā yad ānaśe bhagam ||

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Pad Path

शुचिः॑। स्म॒। यस्मै॑। अ॒त्रि॒ऽवत्। प्र। स्वधि॑तिःऽइव। रीय॑ते। सु॒ऽसूः। अ॒सू॒त॒। मा॒ता। क्रा॒णा। यत्। आ॒न॒शे। भग॑म् ॥८॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:7» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजशिक्षा विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यत्) जो (शुचिः) पवित्र (क्राणाः) करती हुई (माता) माता (यस्मै) जिसके लिये (स्वधितीव) वज्र के धारण करनेवाले के सदृश और (अत्रिवत्) अविद्यमान तीनवाले के सदृश (सुषूः) उत्तम प्रकार उत्पन्न करनेवाली (असूत) उत्पन्न करती और (प्र, रीयते) मिलती है (स्म) वही (भगम्) ऐश्वर्य्य को (आनशे) प्राप्त होती है ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो माता-पिता ब्रह्मचर्य्य किये हुए विधिपूर्वक सन्तानों को उत्पन्न करें तो सुख और ऐश्वर्य्य को प्राप्त होवें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजशासनविषयमाह ॥

Anvay:

यद्या शुचिः क्राणा माता यस्मै स्वधितीवात्रिवत्सुषूरसूत प्र रीयते सा स्म भगमानशे ॥८॥

Word-Meaning: - (शुचिः) पवित्रः (स्म) (यस्मै) (अत्रिवत्) (प्र) (स्वधितीव) वज्रधर इव (रीयते) श्लिष्यति (सुषूः) सुष्ठु जनयित्री (असूत) सूते (माता) जननी (क्राणा) कुर्वती (यत्) या (आनशे) प्राप्नोति (भगम्) ऐश्वर्य्यम् ॥८॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यदि मातापितरौ कृतब्रह्मचर्य्यौ विधिवत्सन्तानानुत्पादयेतां तर्हि सुखैश्वर्य्यं लभेताम् ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे माता-पिता ब्रह्मचर्यपूर्वक व विधिपूर्वक संतानांना उत्पन्न करतात त्यांना सुख व ऐश्वर्य प्राप्त होते. ॥ ८ ॥