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इरा॑वतीर्वरुण धे॒नवो॑ वां॒ मधु॑मद्वां॒ सिन्ध॑वो मित्र दुह्रे। त्रय॑स्तस्थुर्वृष॒भास॑स्तिसृ॒णां धि॒षणा॑नां रेतो॒धा वि द्यु॒मन्तः॑ ॥२॥

English Transliteration

irāvatīr varuṇa dhenavo vām madhumad vāṁ sindhavo mitra duhre | trayas tasthur vṛṣabhāsas tisṛṇāṁ dhiṣaṇānāṁ retodhā vi dyumantaḥ ||

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Pad Path

इरा॑वतीः। व॒रु॒ण॒। धे॒नवः॑। वा॒म्। मधु॑ऽमत्। वा॒म्। सिन्ध॑वः। मि॒त्र॒। दु॒ह्रे॒। त्रयः॑। त॒स्थुः॒। वृ॒ष॒भासः॑। ति॒सृ॒णाम्। धि॒षणा॑नाम्। रे॒तः॒ऽधाः। वि। द्यु॒ऽमन्तः॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:69» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:7» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वरुण) उत्तम कर्म्म के करनेवाले (मित्र) मित्र ! (वाम्) आप दोनों की जो (इरावतीः) बहुत अन्न आदि सामग्रियाँ (धेनवः) और वाणियाँ गौओं के सदृश (मधुमत्) मधुमान् जैसे हो, वैसे (दुह्रे) अच्छे प्रकार पूरित करती हैं और जो (सिन्धवः) नदियाँ वे (वाम्) आप दोनों को उत्तम प्रकार पूरित करती हैं (तिसृणाम्) तीन प्रकार के (धिषणानाम्) कर्म्म, उपासना और ज्ञान के जाननेवालों के (त्रयः) तीन (द्युमन्तः) उत्तम कामनाओं से युक्त (वृषभासः) वर्षानेवाले (रेतोधाः) और जो वीर्य्य को धारण करता है वह (वि) विशेष करके (तस्थुः) स्थित होते हैं, उनको आप दोनों संप्रयुक्त करिये ॥२॥
Connotation: - हे सब के मित्र जनो ! आप लोग गौ के सदृश सुख के देनेवाले, नदी के सदृश मल के दूर करने, बुद्धि के देने और कामनाओं की सिद्धि के देनेवाले हूजिये ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे वरुण मित्र ! वां या इरावतीर्धेनवो मधुमद् दुह्रे ये सिन्धवो वां दुह्रे तिसृणां धिषणानां त्रयो द्युमन्तो वृषभासो रेतोधाश्च वितस्थुस्तान् युवां सम्प्रयुञ्जतम् ॥२॥

Word-Meaning: - (इरावतीः) बह्वन्नादिसामग्रीस्ताः (वरुण) उत्तमकर्मकारी (धेनवः) वाण्यो गाव इव (वाम्) युवाम् (मधुमत्) (वाम्) (सिन्धवः) नद्यः (मित्र) सखे (दुह्रे) प्रपूरयन्ति (त्रयः) (तस्थुः) तिष्ठन्ति (वृषभासः) वर्षकाः (तिसृणाम्) त्रिविधानाम् (धिषणानाम्) कर्म्मोपासनाज्ञानविदाम् (रेतोधाः) यो रेतो वीर्यं दधाति सः (वि) (द्युमन्तः) प्रशस्तकामनायुक्ताः ॥२॥
Connotation: - हे सर्वमित्रा जना ! यूयं धेनुवत्सुखप्रदा नदीवन्मलापहारकाः प्रज्ञाप्रदाः कामनासिद्धिदाश्च भवन्तु ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे सर्व मित्रांनो! तुम्ही गाईप्रमाणे सुखकारक नदीप्रमाणे मलनिःसारक, बुद्धी देणारे व इच्छापूर्ती करणारे बना. ॥ २ ॥