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ता बा॒हवा॑ सुचे॒तुना॒ प्र य॑न्तमस्मा॒ अर्च॑ते। शेवं॒ हि जा॒र्यं॑ वां॒ विश्वा॑सु॒ क्षासु॒ जोगु॑वे ॥२॥

English Transliteration

tā bāhavā sucetunā pra yantam asmā arcate | śevaṁ hi jāryaṁ vāṁ viśvāsu kṣāsu joguve ||

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Pad Path

ता। बा॒हवा॑। सु॒ऽचे॒तुना॑। प्र। य॒न्त॒म्। अ॒स्मै॒। अर्च॑ते। शेव॑म्। हि। जा॒र्य॑म्। वा॒म्। विश्वा॑सु। क्षासु॑। जोगु॑वे ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:64» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:2» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे प्राण और उदान वायु के सदृश वर्त्तमानो ! (ता) वे दोनों आप (बाहवा) बाहु और (सुचेतुना) उत्तम विज्ञान से (अस्मै) इस (अर्चते) सत्कार करनेवाले जन के लिये (शेवम्) सुख को (हि) ही (प्र, यन्तम्) प्रयत्न करते हुए (वाम्) आप दोनों का (जार्यम्) जरा वृद्धावस्था में उत्पन्न विषय का मैं (विश्वासु) सम्पूर्ण (क्षासु) भूमियों में (जोगुवे) उपदेश करता हूँ, वैसे उसकी आप लोग प्रशंसा करो ॥२॥
Connotation: - जो मनुष्य सब पृथिवी पर विद्या और बाहुबल से उत्तम पुरुषों के लिये सुख देते हैं, उनके लिये हम लोग भी सुख देवें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मित्रावरुणौ ! ता युवां बाहवा सुचेतुनाऽस्मा अर्चते शेवं हि प्र यन्तं वां जार्यमहं विश्वासु क्षासु जोगुवे तथा तं प्रशंसतम् ॥२॥

Word-Meaning: - (ता) तौ (बाहवा) बाहुना (सुचेतुना) उत्तमविज्ञानेन (प्र) (यन्तम्) प्रयत्नं कुर्वन्तम् (अस्मै) (अर्चते) सत्कर्त्रे (शेवम्) सुखम् (हि) (जार्यम्) जरावस्थाजन्यम् (वाम्) युवयोः (विश्वासु) समग्रासु (क्षासु) भूमिषु (जोगुवे) उपदिशामि ॥२॥
Connotation: - ये सर्वस्यां पृथिव्यां विद्याबाहुबलाभ्यामुत्तमेभ्यः सुखं प्रयच्छन्ति तेभ्यो वयमपि सुखं प्रयच्छेम ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे सर्व पृथ्वीवर विद्या व बाहुबलाने उत्तम लोकांना सुख देतात त्यांना आम्हीही सुख द्यावे. ॥ २ ॥