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अश्वा॑इ॒वेद॑रु॒षासः॒ सब॑न्धवः॒ शूरा॑इव प्र॒युधः॒ प्रोत यु॑युधुः। मर्या॑इव सु॒वृधो॑ वावृधु॒र्नरः॒ सूर्य॑स्य॒ चक्षुः॒ प्र मि॑नन्ति वृ॒ष्टिभिः॑ ॥५॥

English Transliteration

aśvā ived aruṣāsaḥ sabandhavaḥ śūrā iva prayudhaḥ prota yuyudhuḥ | maryā iva suvṛdho vāvṛdhur naraḥ sūryasya cakṣuḥ pra minanti vṛṣṭibhiḥ ||

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Pad Path

अश्वाः॑ऽइव। इत्। अ॒रु॒षासः॑। सऽब॑न्धवः। शूरा॑ऽइव। प्र॒ऽयुधः॑। प्र। उ॒त। यु॒यु॒धुः॒। मर्याः॑ऽइव। सु॒ऽवृधः॑। व॒वृ॒धुः॒। नरः॑। सूर्य॑स्य। चक्षुः॑। प्र। मि॒न॒न्ति॒। वृ॒ष्टिऽभिः॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:59» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् जनो ! (सबन्धवः) तुल्य बन्धु जिनके ऐसे (नरः) नायक आप लोग (अरुषासः) रक्त आदि गुणों से विशिष्ट (अश्वाइव, इत्) घोड़ों के सदृश ही शीघ्र चलिये (उत) और (प्रयुधः) अत्यन्त युद्ध करनेवाले (शूराइव) शूरवीरों के सदृश (प्र, युयुधुः) अत्यन्त युद्ध करिये तथा (सुवृधः) उत्तम प्रकार बढ़नेवाले (मर्याइव) मनुष्यों के सदृश (वावृधुः) बढ़िये और पवन (सूर्यस्य) सूर्य्य देव के (चक्षुः) देखता जिससे उसको (वृष्टिभिः) वर्षाओं से जैसे वैसे शत्रुओं की सेनाओं को (प्र, मिनन्ति) अत्यन्त नाश करते हैं, वे सत्कार करने योग्य हैं ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो घोड़ों के सदृश बलिष्ठ, शूरवीरों के सदृश भयरहित, मनुष्यों के सदृश विचारशील और सूर्य के सदृश अविद्यारूपी अन्धकार के निवारक हैं, वे सब के कल्याण के लिये होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! सबन्धवो नरो भवन्तोऽरुषासोऽश्वाइवेत् सद्यो गच्छन्तूत प्रयुधः शूराइव प्र युयुधुः सुवृधो मर्याइव वावृधुर्वायवः सूर्य्यस्य चक्षुर्वृष्टिभिरिव शत्रुसेनाः प्र मिनन्ति ते सत्कर्त्तव्याः सन्ति ॥५॥

Word-Meaning: - (अश्वाइव) तुरङ्गा इव (इत्) (अरुषासः) रक्तादिगुणविशिष्टाः (सबन्धवः) समाना बन्धवो येषान्ते (शूराइव) शूरवत् (प्रयुधः) ये प्रकर्षेण युध्यन्ते (प्र) (उत) (युयुधुः) सङ्ग्रामं कुर्युः (मर्याइव) मनुष्यवत् (सुवृधः) ये सुष्ठु वर्धन्ते ते (वावृधुः) वर्धन्ताम् (नरः) नायकाः (सूर्यस्य) सवितृदेवस्य (चक्षुः) चष्टे येन तत् (प्र) (मिनन्ति) हिंसन्ति (वृष्टिभिः) वर्षाभिः ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । येऽश्वद्बलिष्ठाः शूरवन्निर्भया मनुष्यवद्विचारशीलाः सूर्यवदविद्याऽन्धकारनिवारकाः सन्ति ते सर्वस्य कल्याणाय भवन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे घोड्याप्रमाणे बलवान, शूराप्रमाणे निर्भय, मानवाप्रमाणे विचारशील व सूर्याप्रमाणे अविद्यारूपी अंधःकाराचे निवारक असतात ते सर्वांचे कल्याणकर्ते असतात. ॥ ५ ॥