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उत्ति॑ष्ठ नू॒नमे॑षां॒ स्तोमैः॒ समु॑क्षितानाम्। म॒रुतां॑ पुरु॒तम॒मपू॑र्व्यं॒ गवां॒ सर्ग॑मिव ह्वये ॥५॥

English Transliteration

ut tiṣṭha nūnam eṣāṁ stomaiḥ samukṣitānām | marutām purutamam apūrvyaṁ gavāṁ sargam iva hvaye ||

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Pad Path

उत्। ति॒ष्ठ॒। नू॒नम्। ए॒षा॒म्। स्तोमैः॑। सम्ऽउ॑क्षितानाम्। म॒रुता॑म्। पु॒रु॒ऽतम॑म्। अपू॑र्व्यम्। गवा॑म्। सर्ग॑म्ऽइव। ह्वये॒ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:56» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:19» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! जैसे मैं (गवाम्) गौओं के (सर्गमिव) जल के सदृश (पुरुतमम्) अत्यन्त बहुत (अपूर्व्यम्) अपूर्व में हुए को (ह्वये) पुकारता हूँ वैसे (एषाम्) इन (समुक्षितानाम्) उत्तम प्रकार से सींचनेवाले (मरुताम्) मनुष्यों की (स्तोमैः) प्रशंसाओं से (नूनम्) निश्चय से (उत्, तिष्ठ) ऊपर पहुँचिये ॥५॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि सृष्टि के क्रम को जानकर सम्पूर्ण आनन्द को प्राप्त हों ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यथाहं गवां सर्गमिव पुरुतममपूर्व्यं ह्वये तथैषां समुक्षितानां मरुतां स्तोमैर्नूनमुत्तिष्ठ ॥५॥

Word-Meaning: - (उत्) (तिष्ठ) ऊर्द्ध्वं गच्छ (नूनम्) निश्चयेन (एषाम्) (स्तोमैः) प्रशंसाभिः (समुक्षितानाम्) सम्यक् सेक्तॄणाम् (मरुताम्) मनुष्याणाम् (पुरुतमम्) बहुतमम् (अपूर्व्यम्) अपूर्वे भवम् (गवाम्) धेनूनाम् (सर्गमिव) उदकमिव (ह्वये) ॥५॥
Connotation: - मनुष्यैः सृष्टिक्रमं विज्ञाय सर्वानन्द आप्तव्यः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी सृष्टिक्रम जाणून संपूर्ण आनंद घ्यावा. ॥ ५ ॥