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यथा॑ चि॒न्मन्य॑से हृ॒दा तदिन्मे॑ जग्मुरा॒शसः॑। ये ते॒ नेदि॑ष्ठं॒ हव॑नान्या॒गम॒न्तान्व॑र्ध भीमसं॑दृशः ॥२॥

English Transliteration

yathā cin manyase hṛdā tad in me jagmur āśasaḥ | ye te nediṣṭhaṁ havanāny āgaman tān vardha bhīmasaṁdṛśaḥ ||

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Pad Path

यथा॑। चि॒त्। मन्य॑से। हृ॒दा। तत्। इत्। मे॒। ज॒ग्मुः॒। आ॒ऽशसः॑। ये। ते॒। नेदिष्ठ॑म्। हव॑नानि। आ॒ऽगम॑न्। तान्। व॒र्ध॒। भी॒मऽसं॑दृशः ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:56» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्य ! (ये) जो (ते) आपके लिये (नेदिष्ठम्) अत्यन्त सामीप्य को (आशसः) कहनेवाले (जग्मुः) प्राप्त होते हैं (तान्) उनकी आप (वर्ध) वृद्धि करिये और (यथा, चित्) जिसी प्रकार से आप (हृदा) हृदय से (मे) मेरे लिये (तत्) उसको (मन्यसे) मानते हो, उस प्रकार (हवनानि) देने-लेने योग्य वस्तुयें (आगमन्) प्राप्त होवें और (भीमसन्दृशः) भयङ्कर दर्शन जिनका वे (इत्) ही प्राप्त होते हैं ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । मनुष्य लोग परस्पर के उपकार से सुखी हों ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्य ! ये ते नेदिष्ठमाशसो जग्मुस्ताँस्त्वं वर्ध। यथा चित् त्वं हृदा मे तन्मन्यसे तथा हवनान्यागमन्। भीमसन्दृश इज्जग्मुः ॥२॥

Word-Meaning: - (यथा) येन प्रकारेण (चित्) अपि (मन्यसे) (हृदा) हृदयेन (तत्) (इत्) एव (मे) मह्यम् (जग्मुः) प्राप्नुवन्ति (आशसः) ये आशंसन्ति ते (ये) (ते) तुभ्यम् (नेदिष्ठम्) अतिशयेनान्तिकम् (हवनानि) दातुं ग्रहीतुं योग्यानि वस्तूनि (आगमन्) आगच्छन्तु (तान्) (वर्ध) वर्धय (भीमसन्दृशः) भीमं भयङ्करं सन् दृग्दर्शनं येषान्ते ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । मनुष्याः परस्परस्योपकारेण सुखिनो भवन्तु ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. माणसांनी परस्पर उपकार करून सुखी व्हावे. ॥ २ ॥