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को वे॑द॒ जान॑मेषां॒ को वा॑ पु॒रा सु॒म्नेष्वा॑स म॒रुता॑म्। यद्यु॑यु॒ज्रे कि॑ला॒स्यः॑ ॥१॥

English Transliteration

ko veda jānam eṣāṁ ko vā purā sumneṣv āsa marutām | yad yuyujre kilāsyaḥ ||

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Pad Path

कः। वे॒द॒। जान॑म्। ए॒षा॒म्। कः। वा॒। पु॒रा। सु॒म्नेषु॑। आ॒स॒। म॒रुता॑म्। यत्। यु॒यु॒ज्रे। कि॒ला॒स्यः॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:53» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सोलह ऋचावाले त्रेपनवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में अब मनुष्य क्या जानें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो वा विद्वानो ! (यत्) जो (युयुज्रे) युक्त होता है, वह (एषाम्) इन (मरुताम्) मनुष्यों वा पवनों के (जानम्) प्रादुर्भाव को (किलास्यः) निश्चित सुख जिसका वह (कः) कौन (वेद) जानता है (कः, वा) अथवा कौन (सुम्नेषु) सुखों में (पुरा) प्रथम (आस) स्थित है ॥१॥
Connotation: - मनुष्य और वायु आदि पदार्थों के लक्षण और लक्ष्यों को विद्वान् जन ही जानने को समर्थ हो सकते हैं, अन्य नहीं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्याः किं जानीयुरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या विद्वांसो वा ! यद्युयुज्रे तदेषां मरुतां जानं किलास्यः को वेद को वा सुम्नेषु पुरास ॥१॥

Word-Meaning: - (कः) (वेद) जानाति (जानम्) प्रादुर्भावम् (एषाम्) मनुष्याणां वायूनां वा (कः) (वा) (पुरा) पुरस्तात् (सुम्नेषु) (आस) आस्ते (मरुताम्) मनुष्याणां वायूनां वा (यत्) (युयुज्रे) युञ्जते (किलास्यः) निश्चितमास्यं यस्य सः ॥१॥
Connotation: - मनुष्यवाय्वादिपदार्थलक्षणलक्ष्याणि विद्वांस एव ज्ञातुं शक्नुवन्ति नेतरे ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात प्रश्न, उत्तर व विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर पूर्वसूक्ताच्या अर्थाची संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसे व वायू इत्यादी पदार्थांचे लक्षण व लक्ष्य यांना विद्वान लोकच जाणण्यास समर्थ असतात, इतर नव्हे! ॥ १ ॥