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ये वा॑वृ॒धन्त॒ पार्थि॑वा॒ य उ॒राव॒न्तरि॑क्ष॒ आ। वृ॒जने॑ वा न॒दीनां॑ स॒धस्थे॑ वा म॒हो दि॒वः ॥७॥

English Transliteration

ye vāvṛdhanta pārthivā ya urāv antarikṣa ā | vṛjane vā nadīnāṁ sadhasthe vā maho divaḥ ||

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Pad Path

ये। व॒वृ॒धन्त॑। पार्थि॑वाः। ये। उ॒रौ। अ॒न्तरि॑क्षे। आ। वृ॒जने॑। वा॒। न॒दीना॑म्। स॒धऽस्थे॑। वा। म॒हः। दि॒वः ॥७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:52» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:9» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (ये) जो (उरौ) बहुत रूपवाले (अन्तरिक्षे) आकाश में (पार्थिवः) पृथिवी में जाने गये पदार्थ (वावृधन्त) अत्यन्त वृद्धि को प्राप्त होते हैं (ये, वा) अथवा जो (नदीनाम्) नदियों के (सधस्थे) समान स्थान में (वृजने, वा) वा वर्जते हैं जिसमें उसमें (आ) सब प्रकार अत्यन्त वृद्धि को प्राप्त होते हैं और (महः) महान् (दिवः) कामना करनेवाले वृद्धि को प्राप्त होते हैं, उनको आप लोग विशेष करके जानिये ॥७॥
Connotation: - जो पृथिवी आदिकों की विद्या को जानते हैं, वे सब प्रकार वृद्धि को प्राप्त होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! य उरावन्तरिक्षे पार्थिवा वावृधन्त ये वा नदीनां सधस्थे वृजने वाऽऽवावृधन्त महो दिवो वावृधन्त तान् यूयं विजानीत ॥७॥

Word-Meaning: - (ये) (वावृधन्त) भृशं वर्धन्ते (पार्थिवाः) पृथिव्यां विदिताः (ये) (उरौ) बहुरूपे (अन्तरिक्षे) आकाशे (आ) (वृजने) वृजन्ति यस्मिँस्तस्मिन् (वा) (नदीनाम्) (सधस्थे) समानस्थाने (वा) (महः) महान्तः (दिवः) कामयानाः ॥७॥
Connotation: - ये पृथिव्यादिविद्यां जानन्ति ते सर्वतो वर्धन्ते ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे पृथ्वी इत्यादीची विद्या जाणतात त्यांची सर्व प्रकारे वाढ होते. ॥ ७ ॥