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प्र ये मे॑ बन्ध्वे॒षे गां वोच॑न्त सू॒रयः॒ पृश्निं॑ वोचन्त मा॒तर॑म्। अधा॑ पि॒तर॑मि॒ष्मिणं॑ रु॒द्रं वो॑चन्त॒ शिक्व॑सः ॥१६॥

English Transliteration

pra ye me bandhveṣe gāṁ vocanta sūrayaḥ pṛśniṁ vocanta mātaram | adhā pitaram iṣmiṇaṁ rudraṁ vocanta śikvasaḥ ||

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Pad Path

प्र। ये। मे॒। ब॒न्धु॒ऽए॒षे। गाम्। वोच॑न्त। सू॒रयः॑। पृश्नि॑म्। वो॒च॒न्त॒। मा॒तर॑म्। अध॑। पि॒तर॑म्। इ॒ष्मिण॑म्। रु॒द्रम्। वो॒च॒न्त॒। शिक्व॑सः ॥१६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:52» Mantra:16 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:10» Mantra:6 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (ये) जो (सूरयः) विद्वान् जन (मे) मेरी (बन्ध्वेषे) बन्धुओं की इच्छा के लिये (गाम्) वाणी को (प्र, वोचन्त) उत्तम प्रकार उच्चारण करते हैं और (पृश्निम्) अन्तरिक्ष और (मातरम्) माता का (वोचन्त) उपदेश करते हैं (अधा) इसके अनन्तर (शिक्वसः) सामर्थ्यवाले (इष्मिणम्) बहुत प्रकार का बल जिसका उस (पितरम्) पालन करनेवाले पिता और (रुद्रम्) दुष्टों के भय देनेवाले का (वोचन्त) उपदेश करते हैं, वे मुझ से सत्कार करने योग्य हैं ॥१६॥
Connotation: - मनुष्यों को इस प्रकार जानना चाहिये कि जो हम लोगों के लिये विद्या और उत्तम शिक्षा को देवें, वे हम लोगों से सदा आदर करने योग्य होवें ॥१६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

ये सूरयो मे बन्ध्वेषे गां प्र वोचन्त पृश्निं मातरं वोचन्त। अधा शिक्वस इष्मिणं पितरं रुद्रं वोचन्त ते मया सत्कर्त्तव्याः ॥१६॥

Word-Meaning: - (प्र) (ये) (मे) मम (बन्ध्वेषे) बन्धूनामिच्छायै (गाम्) वाचम् (वोचन्त) ब्रुवन्ति (सूरयः) विद्वांसः (पृश्निम्) अन्तरिक्षम् (वोचन्त) (ब्रुवन्ति) (मातरम्) जननीम् (अधा) अथ। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (पितरम्) पालकं जनकम् (इष्मिणम्) इष्मो बहुविधो [बलं] विद्यते यस्य तम् (रुद्रम्) दुष्टानां भयप्रदम् (वोचन्त) उपदिशेयुः (शिक्वसः) शक्तिमन्तः ॥१६॥
Connotation: - मनुष्यैरेवं वेदितव्यं येऽस्मभ्यं विद्यां सुशिक्षां दद्युस्तेऽस्माभिः सदा माननीया भवेयुः ॥१६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी हे जाणावे की जे आम्हाला विद्या व उत्तम शिक्षण देतात ते सदैव आदर करण्यायोग्य असतात. ॥ १६ ॥