Go To Mantra

य ऋ॒ष्वा ऋ॒ष्टिवि॑द्युतः क॒वयः॒ सन्ति॑ वे॒धसः॑। तमृ॑षे॒ मारु॑तं ग॒णं न॑म॒स्या र॒मया॑ गि॒रा ॥१३॥

English Transliteration

ya ṛṣvā ṛṣṭividyutaḥ kavayaḥ santi vedhasaḥ | tam ṛṣe mārutaṁ gaṇaṁ namasyā ramayā girā ||

Mantra Audio
Pad Path

ये। ऋ॒ष्वाः। ऋ॒ष्टिऽवि॑द्युतः। क॒वयः॑। सन्ति॑। वे॒धसः॑। तम्। ऋ॒षे॒। मारु॑तम्। ग॒णम्। न॒म॒स्य। र॒मय॑। गि॒रा ॥१३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:52» Mantra:13 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:10» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:13


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों को किसका सङ्ग करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (ऋषे) वेदार्थ के जाननेवाले ! (ये) जो (ऋष्टिविद्युतः) ऋष्टिविद्युत् अर्थात् बिजुली में विज्ञान जिनका वे (कवयः) सम्पूर्ण शास्त्रों में निपुण (ऋष्वाः) बड़े महाशय (वेधसः) बुद्धिमान् जन (सन्ति) हैं उनका (गिरा) उत्तम प्रकार शिक्षित सत्य कोमल वाणी से (नमस्या) सत्कार करिये और इससे (तम्) उस (मारुतम्) विद्वान् मनुष्यों के (गणम्) समूह को (रमया) क्रीड़ा से आनन्दित करिये ॥१३॥
Connotation: - जो महाशय यथार्थवक्त जनों की सेवा और सत्कार कर उत्तम शिक्षा को प्राप्त होकर सत्य और असत्य के विवेक के लिये उपदेश करके सब मनुष्यों को आनन्दित करते हैं, वे सब लोगों से सत्कार पाने योग्य होते हैं ॥१३॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः केषां सङ्गः कर्त्तव्य इत्याह ॥

Anvay:

हे ऋषे ! य ऋष्टिविद्युतः कवय ऋष्वा वेधसः सन्ति तान् गिरा नमस्याऽनेन तं मारुतं गणं रमया ॥१३॥

Word-Meaning: - (ये) (ऋष्वाः) महान्तो महाशयाः (ऋष्टिविद्युतः) विद्युति ऋष्टिर्विज्ञानं येषान्ते (कवयः) सकलशास्त्रेषु निपुणाः (सन्ति) (वेधसः) मेधाविनः (तम्) (ऋषे) वेदार्थवित् (मारुतम्) विदुषां मनुष्याणामिमम् (गणम्) समूहम् (नमस्या) सत्कुरु। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (रमया) क्रीडयाऽऽनन्दय। अत्रापि संहितायामिति दीर्घः। (गिरा) सुशिक्षितया सत्यया कोमलया वाचा ॥१३॥
Connotation: - ये महाशया आप्तान् सेवित्वा सत्कृत्य सुशिक्षां प्राप्य सत्यासत्यविवेकायोपदेशं कृत्वा सर्वान् मनुष्यानानन्दयन्ति ते सर्वैः सत्कर्त्तव्या भवन्ति ॥१३॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे लोक आप्त विद्वानांची सेवा व सत्कार करून उत्तम शिक्षण घेऊन सत्यासत्याच्या विवेकाचा उपदेश करून सर्व माणसांना आनंदित करतात. त्यांचा सर्व लोकांनी सत्कार करावा, अशी त्यांची योग्यता असते. ॥ १३ ॥