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अग्र॒ इन्द्र॒ वरु॑ण॒ मित्र॒ देवाः॒ शर्धः॒ प्र य॑न्त॒ मारु॑तो॒त वि॑ष्णो। उ॒भा नास॑त्या रु॒द्रो अध॒ ग्नाः पू॒षा भगः॒ सर॑स्वती जुषन्त ॥२॥

English Transliteration

agna indra varuṇa mitra devāḥ śardhaḥ pra yanta mārutota viṣṇo | ubhā nāsatyā rudro adha gnāḥ pūṣā bhagaḥ sarasvatī juṣanta ||

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Pad Path

अग्ने॑। इन्द्र॑। वरु॑ण। मित्र॑। देवाः॑। शर्धः॑। प्र। य॒न्त॒। मारु॑त। उ॒त। वि॒ष्णो॒ इति॑। उ॒भा। नास॑त्या। रु॒द्रः। अध॑। ग्नाः। पू॒षा। भगः॑। सर॑स्वती। जु॒ष॒न्त॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:46» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:28» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों को विद्युदादि विद्या अवश्य स्वीकार करने योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य से युक्त (अग्ने) विद्वन् (वरुण) श्रेष्ठ (मित्र) मित्र (मारुत) मनुष्यों में विदित और (देवाः) विद्वानो ! आप (शर्धः) बल को (प्र, यन्त) प्राप्त होते हैं (उत) और हे (विष्णोः) व्यापनशील ! (उभा) दो (नासत्या) असत्य आचरण से रहित जन (रुद्रः) दुष्टों को भयंकर (भगः) ऐश्वर्य्यवान् (पूषा) पुष्टिकारक वायु (अध) इसके अनन्तर (सरस्वती) उत्तम प्रकार शिक्षित वाणी भी (ग्नाः) वाणियों का (जुषन्त) सेवन करें ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोगों को चाहिये कि विद्या, शरीर, बल और योग की वृद्धि करके अग्नि आदि विद्या को स्वीकार करें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैर्विद्युदादिविद्यावश्यं स्वीकार्येत्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्राग्ने वरुण मित्र मारुत देवा ! भवन्तः शर्धः प्र यन्त। उत हे विष्णो ! उभा नासत्या रुद्रो भगः पूषाध सरस्वती च ग्ना जुषन्त ॥२॥

Word-Meaning: - (अग्ने) विद्वन् (इन्द्र) परमैश्वर्य्ययुक्त (वरुण) श्रेष्ठ (मित्र) सुहृत् (देवाः) विद्वांसः (शर्धः) बलम् (प्र) (यन्त) प्राप्नुवन्ति (मारुत) मरुतां मनुष्याणां मध्ये विदित (उत) अपि (विष्णो) व्यापनशीलम् (उभा) उभौ (नासत्या) अविद्यमानासत्याचरणौ (रुद्रः) दुष्टानां भयङ्करः (अध) (ग्नाः) वाणी (पूषा) पुष्टिकर्त्ताः वायुः (भगः) ऐश्वर्यवान् (सरस्वती) सुशिक्षिता वाणी (जुषन्त) सेवन्ताम् ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! भवद्भिर्विद्याशरीरबलयोगवृद्धिं कृत्वाऽग्न्यादिविद्या स्वीकार्य्या ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही विद्या, शरीरबल व योगवृद्धी करून अग्नी इत्यादी विद्या शिका. ॥ २ ॥