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धियं॑ वो अ॒प्सु द॑धिषे स्व॒र्षां ययात॑र॒न्दश॑ मा॒सो नव॑ग्वाः। अ॒या धि॒या स्या॑म दे॒वगो॑पा अ॒या धि॒या तु॑तुर्या॒मात्यंहः॑ ॥११॥

English Transliteration

dhiyaṁ vo apsu dadhiṣe svarṣāṁ yayātaran daśa māso navagvāḥ | ayā dhiyā syāma devagopā ayā dhiyā tuturyāmāty aṁhaḥ ||

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Pad Path

धिय॑म्। वः॒। अ॒प्ऽसु। द॒धि॒षे॒। स्वः॒साम्। यया॑। अत॑रन्। दश॑। मा॒सः। नव॑ऽग्वाः। अ॒या। धि॒या। स्या॒म॒। दे॒वऽगो॑पाः। अ॒या। धि॒या। तु॒तु॒र्या॒म॒। अति॑। अंहः॑ ॥११॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:45» Mantra:11 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:27» Mantra:6 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

जो मनुष्य उत्तम बुद्धि की याचना करते हैं, वे विद्वान् होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यया) जिससे (नवग्वाः) नवीन गमनवाले (दश) दश (मासः) महीने (अतरन्) पार होते हैं (अया) इस (धिया) बुद्धि से हम लोग (देवगोपाः) विद्वानों के रक्षक (स्याम) होवें और (अया) इस (धिया) बुद्धि से (अंहः) पाप वा पाप से उत्पन्न दुःख का (अति, तुतुर्याम) अत्यन्त विनाश करें (वः) आपकी (स्वर्षाम्) सुख का विभाग करता है जिससे उस (धियम्) बुद्धि को (अप्सु) प्राणों में मैं (दधिषे) धारण करूँ ॥११॥
Connotation: - जो बुद्धिमान्, धनवान् और बल से युक्त होकर सब की रक्षा करते हैं, वे दुःखों के पार होते हैं ॥११॥ इस सूक्त में सूर्य और विद्वान् के गुण वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह पैंतालीसवाँ सूक्त और सत्ताईसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

ये मनुष्याः प्रज्ञां याचन्ते ते विद्वांसो जायन्त इत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यया नवग्वा दश मासोऽतरन्नया धिया वयं देवगोपाः स्यामाऽया धियांऽहोऽति तुतुर्याम वः स्वर्षां तां धियमप्सु प्राणेष्वहं दधिषे ॥११॥

Word-Meaning: - (धियम्) प्रज्ञां कर्म वा (वः) युष्माकम् (अप्सु) (दधिषे) धारयेयम् (स्वर्षाम्) स्वः सुखं सनति विभजति यया ताम् (यया) (अतरन्) तरन्ति (दश) (मासः) (नवग्वाः) नवीनगतयः (अया) अनया (धिया) (स्याम) (देवगोपाः) देवानां विदुषां रक्षकाः (अया) (धिया) (तुतुर्याम) विनाशयेम (अति) (अंहः) पापं पापजन्यं दुःखं वा ॥११॥
Connotation: - ये धीमन्तो धनवन्तो बलाढ्या भूत्वा सर्वान् रक्षन्ति ते दुःखानि तरन्ति ॥११॥ अत्र सूर्यविद्वद्गुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति पञ्चचत्वारिंशत्तमं सूक्तं सप्तविंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे बुद्धिमान, धनवान व बलवान बनून सर्वांचे रक्षण करतात ते दुःखातून तरून जातात. ॥ ११ ॥