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आ नो॑ दि॒वो बृ॑ह॒तः पर्व॑ता॒दा सर॑स्वती यज॒ता ग॑न्तु य॒ज्ञम्। हवं॑ दे॒वी जु॑जुषा॒णा घृ॒ताची॑ श॒ग्मां नो॒ वाच॑मुश॒ती शृ॑णोतु ॥११॥

English Transliteration

ā no divo bṛhataḥ parvatād ā sarasvatī yajatā gantu yajñam | havaṁ devī jujuṣāṇā ghṛtācī śagmāṁ no vācam uśatī śṛṇotu ||

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Pad Path

आ। नः॒। दि॒वः। बृ॒ह॒तः। पर्व॑तात्। आ। सर॑स्वती। य॒ज॒ता। ग॒न्तु॒। य॒ज्ञम्। हव॑म्। दे॒वी। जु॒जु॒षा॒णा। घृ॒ताची॑। श॒ग्माम्। नः॒। वाच॑म्। उ॒श॒ती। शृ॒णो॒तु॒ ॥११॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:43» Mantra:11 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्यार्थी जनो ! जैसे यह (यजता) उत्तम प्रकार प्राप्त होने योग्य (सरस्वती) विज्ञानयुक्त वाणी (दिवः) कामना करते हुए (बृहतः) महदाशययुक्त (नः) हम लोगों को (पर्वतात्) मेघ से जल के सदृश (आ, गन्तु) सब प्रकार प्राप्त होवे (घृताची) घृत को प्राप्त होनेवाली (जुजुषाणा) उत्तम प्रकार से सेवन की गई (देवी) श्रेष्ठ गुण और शास्त्र के बोध से युक्त (उशती) कामना करती हुई विद्यायुक्त स्त्री (नः) हम लोगों के (यज्ञम्) विद्याव्यवहार को (हवम्) कहने-सुनने योग्य व्यवहार को वा (शग्माम्) सुखमयी (वाचम्) वाणी को और हम लागों को (आ, शृणोतु) अच्छे प्रकार सुने, वैसे आप लोगों को भी प्राप्त हुई यह आप लोगों के कृत्य को सुने ॥११॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । उन्हीं को श्रेष्ठ वाणी प्राप्त होती है, जो सत्य की कामना करनेवाले, महाशय, परोपकारप्रिय, धर्मिष्ठ और विद्यार्थियों के परीक्षक होवें ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्यार्थिनो ! यथेयं यजता सरस्वती दिवो बृहतो नोऽस्मान् पर्वताज्जलमिवाऽऽगन्तु घृताची जुजुषाणा देव्युशती कामयमाना विदुषी स्त्री नो यज्ञं हवं शग्मां वाचं नोऽस्मांश्चऽऽशृणोतु तथैव युष्मानपि प्राप्ता सतीयं युष्माकं कृत्यं शृणुयात् ॥११॥

Word-Meaning: - (आ) (नः) अस्मान् (दिवः) कामयमानान् (बृहतः) महाशयान् (पर्वतात्) मेघात् (आ) (सरस्वती) विज्ञानयुक्ता वाक् (यजता) सङ्गन्तव्या (गन्तु) प्राप्नोतु (यज्ञम्) विद्याव्यवहारम् (हवम्) वक्तव्यं श्रोतव्यं वा (देवी) दिव्यगुणशास्त्रबोधयुक्ता (जुजुषाणा) सम्यक् सेवमाना (घृताची) या घृतमुदकमञ्चति (शग्माम्) सुखमयीम् (नः) अस्माकम् (वाचम्) वाणीम् [(उशती)] कामयमाना (शृणोतु) ॥११॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । तानेव दिव्या वाक् प्राप्नोति ये सत्यकामा महाशयाः परोपकारप्रिया धर्मिष्ठा विद्यार्थिनां परीक्षकाः स्युः ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे सत्याची कामना करणारे, परोपकार प्रिय, धार्मिक व विद्यार्थ्यांची परीक्षा घेणारे असतात त्यांनाच श्रेष्ठ वाणी प्राप्त होते. ॥ ११ ॥