Go To Mantra

वृषा॑ त्वा॒ वृष॑णं वर्धतु॒ द्यौर्वृषा॒ वृष॑भ्यां वहसे॒ हरि॑भ्याम्। स नो॒ वृषा॒ वृष॑रथः सुशिप्र॒ वृष॑क्रतो॒ वृषा॑ वज्रि॒न्भरे॑ धाः ॥५॥

English Transliteration

vṛṣā tvā vṛṣaṇaṁ vardhatu dyaur vṛṣā vṛṣabhyāṁ vahase haribhyām | sa no vṛṣā vṛṣarathaḥ suśipra vṛṣakrato vṛṣā vajrin bhare dhāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

वृषा॑। त्वा॒। वृष॑णम्। व॒र्ध॒तु॒। द्यौः। वृषा॑। वृष॑ऽभ्याम्। व॒ह॒से॒। हरि॑ऽभ्याम्। सः। नः॒। वृषा॑। वृष॑ऽरथः। सु॒ऽशि॒प्र॒। वृष॑क्रतो॒ इति॑ वृषऽक्रतो। वृषा॑। वज्रि॒न्। भरे॑। धाः॒ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:36» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:7» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सुशिप्र) उत्तम कमल के समान मुखवाले (वृषक्रतो) बलवानों की बुद्धि और कर्म्मों के सदृश बुद्धि और कर्म्म जिसके वह (वज्रिन्) शस्त्र और अस्त्र के ज्ञान से युक्त राजन् ! जो (वृषा) सुख वर्षानेवाला (वृषणम्) बलिष्ठ (त्वा) आप को (वर्धतु) बढ़ावे और जो (वृषा) वृष के समान बलवान् आप (द्यौः) सत्य कामनावाले के सदृश (वृषभ्याम्) बल से युक्त (हरिभ्याम्) हरणशील हस्तों से (वहसे) प्राप्त होते वा प्राप्त कराते हो (सः) वह (वृषा) दुष्टों की शक्ति रोकनेवाला और आप (वृषरथः) बलिष्ठ बैल रथ में जिनके ऐसे (वृषा) विद्या के वर्षानेवाले (नः) हम लोगों को (भरे) संग्राम में (धाः) धरिये धारण कीजिये ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो विद्वान् तुम लोगों को सर्वदा बढ़ाते हैं, उनको आप संग्राम में विजय के लिये प्रेरणा दीजिये ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे सुशिप्र वृषक्रतो वज्रिन्निन्द्र राजन् ! यो वृषा वृषणं त्वा वर्धतु यो वृषा त्वं द्यौरिव वृषभ्यां हरिभ्यां वहसे स वृषा त्वं च वृषरथो वृषा नो भरे धाः ॥५॥

Word-Meaning: - (वृषा) सुखवर्षकः (त्वा) त्वाम् (वृषणम्) बलिष्ठम् (वर्धतु) वर्धताम् (द्यौः) सत्यकामः (वृषा) वृष इव बलिष्ठः (वृषभ्याम्) बलयुक्ताभ्याम् (वहसे) प्राप्नोषि प्रापयसि वा (हरिभ्याम्) हरणशीलाभ्यां हस्ताभ्याम् (सः) (नः) अस्मान् (वृषा) दुष्टानां शक्तिबन्धकः (वृषरथः) बलिष्ठा वृषभा रथे यस्य (सुशिप्र) सुमुखारविन्द (वृषक्रतो) वृषाणां बलवतां प्रज्ञाकर्म्माणीव प्रज्ञाकर्म्माणि यस्य सः (वृषा) विद्यावर्षकः (वज्रिन्) शस्त्रास्त्रवित् (भरे) सङ्ग्रामे (धाः) धर ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये विद्वांसो युष्मान् सर्वदा वर्धयन्ति तांस्त्वं सङ्ग्रामे विजयाय प्रेर्ष्व ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो! जे विद्वान तुमची सदैव वृद्धी करतात त्यांना तुम्ही युद्धात विजयप्राप्तीसाठी प्रेरणा द्या. ॥ ५ ॥