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त्वं तमि॑न्द्र॒ मर्त्य॑ममित्र॒यन्त॑मद्रिवः। स॒र्व॒र॒था श॑तक्रतो॒ नि या॑हि शवसस्पते ॥५॥

English Transliteration

tvaṁ tam indra martyam amitrayantam adrivaḥ | sarvarathā śatakrato ni yāhi śavasas pate ||

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Pad Path

त्वम्। तम्। इ॒न्द्र॒। मर्त्य॑म्। अ॒मि॒त्र॒ऽयन्त॑म्। अ॒द्रि॒ऽवः॒। स॒र्व॒ऽर॒था। श॒त॒क्र॒तो॒ इति॑ शतऽक्रतो। नि। या॒हि॒। श॒व॒सः॒। प॒ते॒ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:35» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:5» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (शवसः) बल अर्थात् सेना के (पते) पालक सेना के स्वामिन् ! (शतक्रतो) अमित बुद्धिवाले (अद्रिवः) मेघयुक्त सूर्य्य के सदृश राजमान (इन्द्र) ऐश्वर्य्य की इच्छा करनेवाले प्रजाजन ! (सर्वरथा) सम्पूर्ण वाहनों से युक्त (त्वम्) आप (तम्) उस (अमित्रयन्तम्) शत्रु के सदृश आचरण करते हुए (मर्त्यम्) मनुष्यशरीरधारी को विजय करने के लिये (नि) अत्यन्त (याहि) प्राप्त हूजिये ॥५॥
Connotation: - हे राजन् ! जो अन्याय से आपका शत्रु होवे, उसके शासन के लिये बल के सहित आप नित्य प्राप्त हूजिये ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे शवसस्पते ! शतक्रतोऽद्रिव इन्द्र ! सर्वरथा त्वं तममित्रयन्तं मर्त्यं विजयाय नि याहि ॥५॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (तम्) (इन्द्र) ऐश्वर्य्यमिच्छुक प्रजाजन (मर्त्यम्) मनुष्यशरीरधारिणम् (अमित्रयन्तम्) शत्रुवदाचरन्तम् (अद्रिवः) मेघयुक्तसूर्य्यवद्राजमान (सर्वरथा) सर्वे रथा यानानि यस्य सः (शतक्रतो) अमितप्रज्ञ (नि) नितराम् (याहि) गच्छ (शवसः) बलस्य सैन्यस्य (पते) पालक सेनेश ॥५॥
Connotation: - हे राजन् ! यो ह्यन्यायेन तव शत्रुर्भवेत् तच्छासनाय सबलसत्वं नित्यं गच्छेः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा! जो अन्यायाने तुझा शत्रू बनतो त्याला शासन करण्यासाठी तू बलवान हो. ॥ ५ ॥