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प॒पृ॒क्षेण्य॑मिन्द्र॒ त्वे ह्योजो॑ नृ॒म्णानि॑ च नृ॒तमा॑नो॒ अम॑र्तः। स न॒ एनीं॑ वसवानो र॒यिं दाः॒ प्रार्यः स्तु॑षे तुविम॒घस्य॒ दान॑म् ॥६॥

English Transliteration

papṛkṣeṇyam indra tve hy ojo nṛmṇāni ca nṛtamāno amartaḥ | sa na enīṁ vasavāno rayiṁ dāḥ prāryaḥ stuṣe tuvimaghasya dānam ||

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Pad Path

प॒पृ॒क्षेण्य॑म्। इ॒न्द्र॒। त्वे॒ इति॑। हि। ओजः॑। नृ॒म्णानि॑। च॒। नृ॒तमा॑नः। अम॑र्तः। सः। नः॒। एनी॑म्। व॒स॒वा॒नः॒। र॒यिम्। दाः॒। प्र। अ॒र्यः। स्तु॒षे॒। तु॒वि॒ऽम॒घस्य॑। दान॑म् ॥६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:33» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:2» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) विद्वन् ! जो (नृतमानः) नृत्य करता हुआ (अमर्त्तः) आत्मभाव से मरणधर्म्मरहित जन (त्वे) आप में (पपृक्षेण्यम्) पूँछने योग्य (ओजः) पराक्रम (नृम्णानि, च) और मनुष्यों से रमने योग्य धनों को धारण करे (सः) वह (एनीम्) प्राप्त होने योग्य को (वसवानः) वसाता हुआ (रयिम्) धन को (दाः) दीजिये (हि) जिससे (तुविमघस्य) बहुत धन के (अर्यः) स्वामी होते हुए (दानम्) दान की (प्र, स्तुषे) प्रशंसा करते हो (सः) वह आप (नः) हम लोगों के लिये सुख दीजिये ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोग विद्वानों के प्रति पूँछने योग्य प्रश्नों को कर, बल को बढ़ाय और ऐश्वर्य्य की वृद्धि करके उत्तम मार्ग में दान देकर प्रशंसित विद्या और आचरणयुक्त होवें ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! यो नृतमानोऽमर्त्तस्त्वे पपृक्षेण्यमोजो नृम्णानि च दध्यात् स एनीं वसवानो रयिं दाः। हि यतस्तुविमघस्याऽर्यः सन्दानं प्र स्तुषे स त्वं नोऽस्मभ्यं सुखं प्रयच्छ ॥६॥

Word-Meaning: - (पपृक्षेण्यम्) प्रष्टुं योग्यम् (इन्द्र) विद्वन् (त्वे) त्वयि (हि) यतः (ओजः) पराक्रमः (नृम्णानि) नरै रमणीयानि धनानि (च) (नृतमानः) नृत्यन्। अत्र विकरणव्यत्ययेन शः। (अमर्त्तः) आत्मत्वेन मरणधर्मरहितः (सः) (नः) अस्मभ्यम् (एनीम्) प्राप्तुं योग्याम् (वसवानः) निवासयन् (रयिम्) धनम् (दाः) दद्याः (प्र) (अर्यः) स्वामी (स्तुषे) प्रशंससि (तुविमघस्य) बहुधनस्य (दानम्) ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्या ! भवन्तो विदुषः प्रति प्रष्टव्यान् प्रश्नान् कृत्वा बलं वर्धयित्वैश्वर्य्यमुन्नीय सन्मार्गे दानं दत्त्वा प्रशंसितविद्याचरणा भवन्तु ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही विद्वानांना विचारण्यायोग्य प्रश्न विचारून, बल वाढवून, ऐश्वर्याची वृद्धी करून चांगल्या गोष्टींसाठी दान द्या व प्रशंसित विद्या व आचरणानी युक्त व्हा. ॥ ६ ॥