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औच्छ॒त्सा रात्री॒ परि॑तक्म्या॒ याँ ऋ॑णंच॒ये राज॑नि रु॒शमा॑नाम्। अत्यो॒ न वा॒जी र॒घुर॒ज्यमा॑नो ब॒भ्रुश्च॒त्वार्य॑सनत्स॒हस्रा॑ ॥१४॥

English Transliteration

aucchat sā rātrī paritakmyā yām̐ ṛṇaṁcaye rājani ruśamānām | atyo na vājī raghur ajyamāno babhruś catvāry asanat sahasrā ||

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Pad Path

औच्छ॑त्। साः। रात्री॑। परि॑ऽतक्म्या। या। ऋ॒ण॒म्ऽच॒ये। राज॑नि। रु॒शमा॑नाम्। अत्यः॑। न। वा॒जी। र॒घुः। अ॒ज्यमा॑नाः। ब॒भ्रुः। च॒त्वारि॑। अ॒स॒न॒त्। स॒हस्रा॑ ॥१४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:30» Mantra:14 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:28» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (या) जो (रुशमानाम्) हिंसा करनेवाले मन्त्रियों के (ऋणञ्चये) ऋण को इकट्ठा करता है, जिससे उस (राजनि) राजा में (रघुः) छोटा (अज्यमानः) चलाया गया (बभ्रुः) धारण वा पोषण करनेवाले और (अत्यः) मार्ग को व्याप्त होनेवाले (वाजी) वेगयुक्त के (न) सदृश (चत्वारि) चार (सहस्रा) सहस्रों का (असनत्) विभाग करता है (सा) वह (परितक्म्या) आनन्द देनेवाली (रात्री) रात्री सम्पूर्णों को (औच्छत्) निवास देती है, यह जानो ॥१४॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे विद्वानो ! आप लोग रात्रि और दिन के कृत्यों को जान कर और स्वयं करके, उत्तम परीक्षा करके राजा आदिकों के लिये उन कृत्यों का उपदेश दीजिये, जिससे ये सब सुखी हों और जैसे शीघ्र चलनेवाला घोड़ा दौड़ता है, वैसे ही दिन और रात्रि व्यतीत होता है, यह जानना चाहिये ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! या रुशमानामृणञ्चये राजनि रघुरज्यमानो बभ्रुरत्यो वाजी न चत्वारि सहस्रासनत् सा परितक्म्या रात्री सर्वानौच्छदिति विजानन्तु ॥१४॥

Word-Meaning: - (औच्छत्) निवासयति (सा) (रात्री) (परितक्म्या) आनन्दप्रदा (या) (ऋणञ्चये) ऋणं चिनोति यस्मात्तस्मिन् (राजनि) (रुशमानाम्) हिंसकमन्त्रीणाम् (अत्यः) अतति मार्गं व्याप्नोति सः (न) इव (वाजी) वेगवान् (रघुः) लघुः (अज्यमानः) चाल्यमानः (बभ्रुः) धारकः पोषको वा (चत्वारि) (असनत्) विभजति (सहस्रा) सहस्राणि ॥१४॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे विद्वांसो ! यूयं रात्रिदिनकृत्यानि विज्ञाय स्वयमनुष्ठाय सुपरीक्ष्य राजादिभ्यः उपदिशत यत एते सर्वे सुखिनः स्युर्यथा सद्योगाम्यश्वो धावति तथैवाऽहर्निशं धावतीति विज्ञेयम् ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे विद्वानांनो! तुम्ही रात्र व दिवस यांचे कार्य जाणून स्वतः अनुष्ठान करून चांगले परीक्षण करून राजा इत्यादींना उपदेश करा. ज्यामुळे ते सुखी व्हावेत व जसा शीघ्र चालणारा घोडा पळतो तसेच दिवस व रात्र व्यतीत होतात, हे जाणले पाहिजे. ॥ १४ ॥