Go To Mantra

भ॒द्रमि॒दं रु॒शमा॑ अग्ने अक्र॒न्गवां॑ च॒त्वारि॒ दद॑तः स॒हस्रा॑। ऋ॒णं॒च॒यस्य॒ प्रय॑ता म॒घानि॒ प्रत्य॑ग्रभीष्म॒ नृत॑मस्य नृ॒णाम् ॥१२॥

English Transliteration

bhadram idaṁ ruśamā agne akran gavāṁ catvāri dadataḥ sahasrā | ṛṇaṁcayasya prayatā maghāni praty agrabhīṣma nṛtamasya nṛṇām ||

Mantra Audio
Pad Path

भ॒द्रम्। इ॒दम्। रु॒शमाः॑। अ॒ग्ने॒। अ॒क्र॒न्। गवा॑म्। च॒त्वारि॑। दद॑तः। स॒हस्रा॑। ऋ॒ण॒म्ऽच॒यस्य॑। प्रऽय॑ता। म॒घानि॑। प्रति॑। अ॒ग्र॒भी॒॒ष्म॒। नृऽत॑मस्य। नृ॒णाम् ॥१२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:30» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:28» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:12


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्निदृष्टान्त से राजविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश तेजस्वी राजन् ! जिस (ऋणञ्चयस्य) अर्थात् जिससे ऋण बटोरता है उसके और (गवाम्) किरणों के (चत्वारि) चार (सहस्रा) हजार को (ददतः) देते हुए सूर्य के (इदम्) इस (भद्रम्) कल्याण को (रुशमाः) हिंसा करनेवालों के फेंकनेवाले (अक्रन्) करते हैं, उसके सदृश वर्त्तमान उस (नृणाम्) मनुष्यों के (नृतमस्य) नृतम् अर्थात् अत्यन्त मनुष्यपनयुक्त श्रेष्ठ आपके (मघानि) धनों को हम लोग (प्रयता) प्रयत्न से (प्रति, अग्रभीष्म) प्रतीति से ग्रहण करें ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जैसे सूर्य सहस्रों किरणों को देकर सम्पूर्ण जगत् को आनन्दित करता है, वैसे ही राजा असंख्य उत्तम गुणों को देकर प्रजाओं को निरन्तर प्रसन्न करे ॥१२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निदृष्टान्तेन राजविषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! यस्यर्णञ्चयस्य गवां चत्वारि सहस्रा ददतः सूर्यस्येदं भद्रं रुशमा अक्रँस्तद्वद्वर्त्तमानस्य तस्य नृणां नृतमस्य तव मघानि वयं प्रयता प्रत्यग्रभीष्म ॥१२॥

Word-Meaning: - (भद्रम्) कल्याणम् (इदम्) (रुशमाः) ये रुशान् हिंसकान् मिन्वति (अग्ने) पावकवद्राजन् (अक्रन्) कुर्वन्ति (गवाम्) किरणानाम् (चत्वारि) (ददतः) (सहस्रा) सहस्राणि (ऋणञ्चयस्य) ऋणं चिनोति येन तस्य (प्रयता) प्रयत्नेन (मघानि) धनानि (प्रति) (अग्रभीष्म) गृह्णीयाम (नृतमस्य) (नृणाम्) ॥१२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यथा सूर्यः सहस्राणि किरणान् प्रदाय सर्वं जगदाननन्दयति तथैव राजाऽसङ्ख्याञ्छुभान् गुणान् दत्त्वा प्रजाः सततं हर्षयेत् ॥१२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जसा सूर्य हजारो किरणांद्वारे सर्व जगाला आनंदित करतो. तसे राजाने असंख्य शुभगुणांनी प्रजेला सतत प्रसन्न करावे. ॥ १२ ॥