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नव॑ग्वासः सु॒तसो॑मास॒ इन्द्रं॒ दश॑ग्वासो अ॒भ्य॑र्चन्त्य॒र्कैः। गव्यं॑ चिदू॒र्वम॑पि॒धान॑वन्तं॒ तं चि॒न्नरः॑ शशमा॒ना अप॑ व्रन् ॥१२॥

English Transliteration

navagvāsaḥ sutasomāsa indraṁ daśagvāso abhy arcanty arkaiḥ | gavyaṁ cid ūrvam apidhānavantaṁ taṁ cin naraḥ śaśamānā apa vran ||

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Pad Path

नव॑ऽग्वासः। सु॒तसो॑मासः। इन्द्र॑म्। दश॑ऽग्वासः। अ॒भि। अ॒र्च॒न्ति॒। अ॒र्कैः। गव्य॑म्। चि॒त्। ऊ॒र्वम्। अ॒पि॒धान॑ऽवन्तम्। तम्। चि॒त्। नरः॑। श॒श॒मा॒नाः। अप॑। व्रन् ॥१२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:29» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:25» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (सुतसोमासः) संपादन की ऐश्वर्य और ओषधियाँ जिन्होंने (नवग्वासः) जो नवीन गतिवाले (दशग्वासः) जिन्होंने दशों इन्द्रियों को जीता ऐसे (शशमानाः) अविद्याओं का उल्लङ्घन करते हुए (नरः) नायक जिन जिस (गव्यम्) गोसम्बन्धी (चित्) निश्चित (ऊर्वम्) अविद्या के नाश करनेवाले (अपिधानवन्तम्) आच्छादन से युक्त गुप्त (इन्द्रम्) विद्या और ऐश्वर्य्यवान् का (अर्कैः) मन्त्र वा विचारों से (अभि) सब प्रकार (अर्चन्ति) सत्कार करते और उसकी अविद्या का (अप, व्रन्) अस्वीकार करते हैं (तम्) उसको (चित्) भी आप शिक्षा दीजिये ॥१२॥
Connotation: - जो नवीन विद्या का ग्रहण करना चाहते और ऐश्वर्य्य की इच्छा करने और इन्द्रियों के जीतनेवाले विद्वान् जन अज्ञानी जनों को बोध देकर विद्वान् करते हैं, वे ही सत्कार करने योग्य होते हैं ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! सुतसोमासो नवग्वासो दशग्वासः शशमाना नरो यं गव्यं चिदूर्वमपिधानवन्तमिन्द्रमर्कैरभ्यर्चन्ति तस्याऽविद्यामप व्रँस्तं चित् त्वमपि शिक्षय ॥१२॥

Word-Meaning: - (नवग्वासः) नवीनगतयः (सुतसोमासः) निष्पादितैश्वर्यौषधयः (इन्द्रम्) विद्यैश्वर्ययुक्तम् (दशग्वासः) दश गाव इन्द्रियाणि जितानि यैस्ते (अभि) सर्वतः (अर्चन्ति) सत्कुर्वन्ति (अर्कैः) मन्त्रैर्विचारैः (गव्यम्) गोरिदम् (चित्) अपि (ऊर्वम्) अविद्याहिंसकम् (अपिधानवन्तम्) आच्छादनयुक्तम् (तम्) (चित्) (नरः) नेतारः (शशमानाः) अविद्या उल्लङ्घमानाः (अप) (व्रन्) वृण्वन्ति ॥१२॥
Connotation: - ये नूतनविद्याजिघृक्षव ऐश्वर्य्यमिच्छुका जितेन्द्रिया विद्वांसोऽज्ञानिनः प्रबोध्य विदुषः कुर्वन्ति त एव पूजनीया भवन्ति ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - नवीन विद्या शिकू इच्छिणारे, ऐश्वर्याची इच्छा करणारे, इन्द्रियांना जिंकणारे विद्वान लोक अज्ञानी लोकांना बोध करून विद्वान करतात तेच सत्कार करण्यायोग्य असतात. ॥ १२ ॥