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वी॒तिहो॑त्रं त्वा कवे द्यु॒मन्तं॒ समि॑धीमहि। अग्ने॑ बृ॒हन्त॑मध्व॒रे ॥३॥

English Transliteration

vītihotraṁ tvā kave dyumantaṁ sam idhīmahi | agne bṛhantam adhvare ||

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Pad Path

वी॒तिऽहो॑त्रम्। त्वा॒। क॒वे॒। द्यु॒ऽमन्त॑म्। सम्। इ॒धी॒म॒हि॒। अग्ने॑। बृ॒हन्त॑म्। अ॒ध्व॒रे ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:26» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:19» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर अग्नि के सादृश्य से विद्वान् के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (कवे) विद्वन् (अग्ने) अग्नि के सदृश वर्त्तमान ! हम लोग (अध्वरे) अहिंसारूप यज्ञ में (वीतिहोत्रम्) व्याप्ति का ग्रहण जिससे उस (द्युमन्तम्) प्रकाशवाले अग्नि के सदृश जिन (बृहन्तम्) महान् (त्वा) आपको (सम्, इधीमहि) उत्तम प्रकार प्रकाशित करें, वह आप हम लागों को शुद्ध विद्या से प्रकाशित करें ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को चाहिये कि शिल्पविद्या की सिद्धि के लिये अग्नि का सम्प्रयोग अवश्य करें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरग्निसादृश्येन विद्वद्गुणानाह ॥

Anvay:

हे कवे अग्ने ! वयमध्वरे [वीतिहोत्रं] द्युमन्तमग्निमिव यं बृहन्तं त्वा समिधीमहि स त्वमस्माञ्छुद्धविद्यया प्रकाशय ॥३॥

Word-Meaning: - (वीतिहोत्रम्) वीतेर्व्याप्तेर्होत्रं ग्रहणं यस्मात् तम् (त्वा) (कवे) विद्वन् (द्युमन्तम्) प्रकाशवन्तम् (सम्) (इधीमहि) सम्यक् प्रकाशयेम (अग्ने) पावकवद्वर्त्तमान (बृहन्तम्) महान्तम् (अध्वरे) अहिंसायज्ञे ॥३॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । मनुष्यैः शिल्पविद्यासिद्धयेऽग्निसम्प्रयोगोऽवश्यं कार्य्यः ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. माणसांनी शिल्पविद्येच्या सिद्धीसाठी अग्नी चांगल्या प्रकारे उपयोगात आणावा. ॥ ३ ॥