Go To Mantra

स हि स॒त्यो यं पूर्वे॑ चिद्दे॒वास॑श्चि॒द्यमी॑धि॒रे। होता॑रं म॒न्द्रजि॑ह्व॒मित्सु॑दी॒तिभि॑र्वि॒भाव॑सुम् ॥२॥

English Transliteration

sa hi satyo yam pūrve cid devāsaś cid yam īdhire | hotāram mandrajihvam it sudītibhir vibhāvasum ||

Mantra Audio
Pad Path

सः। हि। स॒त्यः। यम्। पूर्वे॑। चि॒त्। दे॒वासः॑। चि॒त्। यम्। ई॒धि॒रे। होता॑रम्। म॒न्द्रजि॑ह्वम्। इत्। सु॒दी॒तिऽभिः॑। वि॒भाव॑सुम् ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:25» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्निदृष्टान्त से राजविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (पूर्वे) प्राचीन (देवासः) विद्वान् जन (यम्) जिस (होतारम्) देनेवाले (मन्द्रजिह्वम्) प्रशंसनीय जिह्वा से युक्त (सुदीतिभिः) उत्तम प्रकाशों के सहित वर्त्तमान को (चित्) और (विभावसुम्) प्रकाशित धन से युक्त अग्नि के सदृश वर्त्तमान (यम्) जिस राजा को (चित्) निश्चय से (इत्) ही (ईधिरे) प्रकाशित करते हैं (सः, हि) वही (सत्यः) सज्जनों में श्रेष्ठ पुरुष राज्य करने को योग्य है ॥२॥
Connotation: - जिस राजा का यथार्थवक्ता जन सत्कार करें, वही निरन्तर राज्य की रक्षा और वृद्धि करने को योग्य हो ॥२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निदृष्टान्तेन राजविषयमाह ॥

Anvay:

पूर्वे देवासो यं होतारं मन्द्रजिह्वं सुदीतिभिस्सह वर्त्तमानं चिद् विभावसुमग्निमिव वर्त्तमानं यं राजानं चिदिदीधिरे स हि सत्यो राज्यं कर्त्तुमर्हति ॥२॥

Word-Meaning: - (सः) (हि) (सत्यः) सत्सु साधुः (यम्) (पूर्वे) प्राचीनाः (चित्) अपि (देवासः) विद्वांसः (चित्) (यम्) (ईधिरे) प्रदीपयन्ति (होतारम्) दातारम् (मन्द्रजिह्वम्) मन्द्रा प्रशंसनीया जिह्वा यस्य तम् (इत्) एव (सुदीतिभिः) सुष्ठु दीप्तिभिस्सहितम् (विभावसुम्) प्रकाशयुक्तं वसु धनं यस्य तम् ॥२॥
Connotation: - यं राजानमाप्ताः सत्कुर्युः स एव सततं राज्यं रक्षितुं वर्धितुं योग्यः स्यात् ॥२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - ज्या राजाचा आप्त विद्वान लोक सत्कार करतात तोच सतत राज्याचे रक्षण व वृद्धी करण्यायोग्य असतो. ॥ २ ॥