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स हि ष्मा॑ वि॒श्वच॑र्षणिर॒भिमा॑ति॒ सहो॑ द॒धे। अग्न॑ ए॒षु क्षये॒ष्वा रे॒वन्नः॑ शुक्र दीदिहि द्यु॒मत्पा॑वक दीदिहि ॥४॥

English Transliteration

sa hi ṣmā viśvacarṣaṇir abhimāti saho dadhe | agna eṣu kṣayeṣv ā revan naḥ śukra dīdihi dyumat pāvaka dīdihi ||

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Pad Path

सः। हि स्म॒। वि॒श्वऽच॑र्षणिः। अ॒भिऽमा॑ति। सहः॑। द॒धे। अग्ने॑। ए॒षु। क्षये॑षु। आ। रे॒वत्। नः॒। शु॒क्र॒। दी॒दि॒हि॒। द्यु॒ऽमत्। पा॒व॒क॒। दी॒दि॒हि॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:23» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:15» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शुक्र) सामर्थ्ययुक्त (अग्ने) अग्नि के सदृश वर्तमान ! जो (विश्वचर्षणिः) सम्पूर्ण विद्याओं का प्रकाश (एषु) इन (क्षयेषु) निवास स्थानों में (अभिमाति) अभिमान जिससे हो उस (सहः) बल को (दधे) धारण करता (सः, हि) वही (स्मा) निश्चय से जीतनेवाला होता है, इससे आप (नः) हम लोगों के लिये (रेवत्) प्रशस्त धन से युक्त पदार्थ को (दीदिहि) दीजिये और हे (पावक) पवित्र, पवित्राचरण से हम लोगों के लिये (द्युमत्) प्रकाशयुक्त का (आ, दीदिहि) प्रकाश कीजिये ॥४॥
Connotation: - जो मनुष्य पूर्ण शरीर और आत्मा के बल को धारण करते हैं, वे सब के लिये सुख दे सकते हैं ॥४॥ इस सूक्त में अग्नि के गुण वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह तेईसवाँ सूक्त और पन्द्रहवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे शुक्राग्ने ! यो विश्वचर्षणिरेषु क्षयेष्वभिमाति सहो दधे स हि ष्मा विजेता भवति तेन त्वं नो रेवद्दीदिहि। हे पावक ! पवित्राचरणेनाऽस्मभ्यं द्युमदा दीदिहि ॥४॥

Word-Meaning: - (सः) (हि) (स्मा) एव। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (विश्वचर्षणिः) अखिलविद्याप्रकाशः (अभिमाति) अभिमन्यते येन (सहः) बलम् (दधे) दधाति (अग्ने) पावकवद्वर्त्तमान (एषु) (क्षयेषु) निवासेषु (आ) (रेवत्) प्रशस्तधनयुक्तम् (नः) अस्मभ्यम् (शुक्र) शक्तिमन् (दीदिहि) देहि (द्युमत्) प्रकाशमत् (पावक) पवित्र (दीदिहि) प्रकाशय ॥४॥
Connotation: - ये मनुष्याः पूर्णं शरीरात्मबलं दधति ते सर्वेभ्यः सुखं दातुं शक्नुवन्तीति ॥४॥ अत्राग्निगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति त्रयोविंशतितमं सूक्तं पञ्चदशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे संपूर्ण शरीर व आत्म्याचे बल धारण करतात ती सर्वांसाठी सुख देऊ शकतात. ॥ ४ ॥