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के मे॑ मर्य॒कं वि य॑वन्त॒ गोभि॒र्न येषां॑ गो॒पा अर॑णश्चि॒दास॑। य ईं॑ जगृ॒भुरव॒ ते सृ॑ज॒न्त्वाजा॑ति प॒श्व उप॑ नश्चिकि॒त्वान् ॥५॥

English Transliteration

ke me maryakaṁ vi yavanta gobhir na yeṣāṁ gopā araṇaś cid āsa | ya īṁ jagṛbhur ava te sṛjantv ājāti paśva upa naś cikitvān ||

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Pad Path

के। मे॒। म॒र्य॒कम्। वि। य॒व॒न्त॒। गोभिः॑। न। येषा॑म्। गो॒पाः। अर॑णः। चि॒त्। आस॑। ये। ई॒म्। ज॒गृ॒भुः। अव॑। ते। सृ॒ज॒न्तु॒। आ। अ॒जा॒ति॒। प॒श्वः। उप॑। नः॒। चि॒कि॒त्वान् ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:2» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! (के) कौन (गोपाः) गौओं के पालन करनेवाले (गोभिः) गौओं के (न) सदृश (मे) मेरे (मर्यकम्) अल्प मनुष्य को (वि, यवन्त) दूर करें और (येषाम्) जिनका वह (चित्) निश्चित (अरणः) मिलनेवाला (आस) होता है और (ये) जो (पश्वः) पशुओं को (जगृभुः) ग्रहण करें (ते) वे (आ, अजाति) अच्छे प्रकार सन्तानों की उत्पत्ति जिस कुल में उसको (उप, सृजन्तु) उत्पन्न करें और जो (ईम्) विद्या ग्रहण करें, वे दुःख को (अव) दूर करें और जो (चिकित्वान्) बुद्धिमान् उत्पन्न करता है वह (नः) हम लोगों का हितैषी है, यह समझाओ ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। मनुष्यों को चाहिये कि विद्वानों के प्रति यह पूछें कौन हम लोगों के थोड़े ज्ञानवाले सन्तानों को उत्तम बुद्धिवाले कर सकें, वे विद्वान् यह उत्तर देवें कि जो यथार्थवादी हों, वे ही उक्त काम को कर सकें, अन्य जन नहीं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वांसः ! के गोपा गोभिर्न मे मर्यकं वि यवन्त येषां स चिदरण आस ये पश्वो जगृभुस्त आजात्युप सृजन्तु य ईं जगृभुस्ते दुःखमव सृजन्तु यश्चिकित्वानुपसृजतु सो नोऽस्माकं हितैषी वर्त्तत इति विज्ञापयत ॥५॥

Word-Meaning: - (के) (मे) मम (मर्यकम्) मर्यम् (वि) (यवन्त) वियोजयेयुः (गोभिः) (न) इव (येषाम्) (गोपाः) गवां पालकाः (अरणः) सङ्गन्ता (चित्) अपि (आस) भवति (ये) (ईम्) विद्याम् (जगृभुः) गृह्णीयुः (अव) (ते) (सृजन्तु) (आ) (अजाति) समन्ताज्जातिर्जननं यस्मिन् कुले तत्। (पश्वः) पशून् (उप) (नः) अस्माकम् (चिकित्वान्) ॥५॥
Connotation: - अत्रोमालङ्कारः। मनुष्यैर्विदुषः प्रतीदं तावत्प्रष्टव्यं केऽस्माकमल्पप्रज्ञानान् सन्तानान् विशालधियः कर्त्तुं शक्नुयुस्त इदं समादध्युर्य आप्तास्त एवैतत्कर्त्तुं शक्नुयुर्नेतरे ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. माणसांनी विद्वानांना विचारावे की आमच्या अल्पज्ञान असणाऱ्या संतानांना उत्तम बुद्धिमान कोण करू शकतील? तेव्हा विद्वानांनी उत्तर द्यावे की, जे आप्त विद्वान असतील तेच हे काम करू शकतील, इतर नव्हे! ॥ ५ ॥