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अधा॒ ह्य॑ग्न एषां सु॒वीर्य॑स्य मं॒हना॑। तमिद्य॒ह्वं न रोद॑सी॒ परि॒ श्रवो॑ बभूवतुः ॥४॥

English Transliteration

adhā hy agna eṣāṁ suvīryasya maṁhanā | tam id yahvaṁ na rodasī pari śravo babhūvatuḥ ||

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Pad Path

अध॑। हि। अ॒ग्ने॒। ए॒षा॒म्। सु॒ऽवीर्य॑स्य। मं॒हना॑। तम्। इत्। य॒ह्वम्। न। रोद॑सी॒ इति॑। परि॑। श्रवः॑। ब॒भू॒व॒तुः॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:16» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राज्य और ऐश्वर्य्यवृद्धि को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) राजन् ! (एषाम्) इन वीरों और (सुवीर्यस्य) उत्तम पराक्रमवाले के (मंहना) बड़प्पन से जो (तम्) उसको (इत्) ही (यह्वम्) बड़े सूर्य्य (अधा) इसके अन्तर (रोदसी) अन्तरिक्ष और पृथिवी के (न) सदृश (श्रवः) अन्न जैसे हो, वैसे (परि) सब ओर से (बभूवतुः) होते हैं, वे (हि) ही विजय को प्राप्त होते हैं ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जो बड़ी, उत्तम प्रकार शिक्षित सेना को प्राप्त होते हैं, उनके ही राज्य का ऐश्वर्य बढ़ता है ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राज्यैश्वर्य्यवर्द्धनमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! एषां सुवीर्य्यस्य मंहना यौ तमिद्यह्वमधा रोदसी न श्रवो यथा स्यात्तथा परि बभूवतुस्तौ हि विजयं प्राप्नुतः ॥४॥

Word-Meaning: - (अधा) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (हि) (अग्ने) राजन् (एषाम्) वीराणाम् (सुवीर्य्यस्य) सुष्ठु पराक्रमस्य (मंहना) महत्त्वेन (तम्) (इत्) (यह्वम्) महान्तं सूर्य्यम् (न) इव (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (परि) सर्वतः (श्रवः) अन्नम् (बभूवतुः) भवतः ॥४॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! ये महतीं सुशिक्षितां सेनां लभन्ते तेषामेव राज्यैश्वर्य्यं वर्धते ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! ज्यांना प्रशिक्षित सेना प्राप्त होते त्यांच्या राज्याचे ऐश्वर्य वाढते. ॥ ४ ॥