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त्वाम॑ग्ने वाज॒सात॑मं॒ विप्रा॑ वर्धन्ति॒ सुष्टु॑तम्। स नो॑ रास्व सु॒वीर्य॑म् ॥५॥

English Transliteration

tvām agne vājasātamaṁ viprā vardhanti suṣṭutam | sa no rāsva suvīryam ||

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Pad Path

त्वाम्। अ॒ग्ने। वा॒ज॒ऽसात॑मम्। विप्राः॑। व॒र्ध॒न्ति॒। सुऽस्तुत॑म्। सः। नः॒। रा॒स्व॒। सु॒ऽवीर्य॑म् ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:13» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:5» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) महाविद्वन् ! (विप्राः) बुद्धिमान् जन जिन (वाजसातमम्) विज्ञान और वेगों के विभाग करनेवाले (सुष्टुतम्) उत्तम यशवाले और (सुवीर्य्यम्) उत्तम पराक्रमयुक्त (त्वाम्) आपकी (वर्धन्ति) वृद्धि करते हैं, (सः) वह आप (नः) हम लोगों के लिये उत्तम पराक्रम को (रास्व) दीजिये ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो आप लोगों की यथार्थवक्ता विद्वान् जन सब प्रकार से वृद्धि करें तो आप लोगों का अतुल प्रताप बढ़े ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! विप्रा यं वाजसातमं सुष्टुतं सुवीर्य्यं त्वां वर्धन्ति स त्वं नस्सुवीर्यं रास्व ॥५॥

Word-Meaning: - (त्वाम्) (अग्ने) महाविद्वन् (वाजसातमम्) वाजानां विज्ञानानां वेगानामतिशयेन विभाजकम् (विप्राः) मेधाविनः (वर्धन्ति) वर्धयन्ति (सुष्टुतम्) शोभनकीर्त्तिम् (सः) (नः) अस्मभ्यम् (रास्व) देहि (सुवीर्यम्) सुष्ठुपराक्रमम् ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यदि युष्मानाप्ता विद्वांसः सर्वतो वर्धयेयुस्तर्हि युष्माकमतुलः प्रभावो वर्द्धेत ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - हे माणसांनो ! आप्त विद्वान लोकांनी तुमची सर्व प्रकारे वृद्धी केल्यास तुमचा पराक्रम खूप वाढेल. ॥ ५ ॥