Go To Mantra

सखा॑यस्ते॒ विषु॑णा अग्न ए॒ते शि॒वासः॒ सन्तो॒ अशि॑वा अभूवन्। अधू॑र्षत स्व॒यमे॒ते वचो॑भिर्ऋजूय॒ते वृ॑जि॒नानि॑ ब्रु॒वन्तः॑ ॥५॥

English Transliteration

sakhāyas te viṣuṇā agna ete śivāsaḥ santo aśivā abhūvan | adhūrṣata svayam ete vacobhir ṛjūyate vṛjināni bruvantaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

सखा॑यः। ते॒। विषु॑णाः। अ॒ग्ने॒। ए॒ते। शि॒वासः॑। सन्तः॑। अशि॑वाः। अ॒भू॒व॒न्। अधू॑र्षत। स्व॒यम्। ए॒ते। वचः॑ऽभिः। ऋ॒जु॒ऽय॒ते। वृ॒जि॒नानि॑। ब्रु॒वन्तः॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:12» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:4» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! जो (एते) ये (ते) आपके (विषुणाः) विद्या को व्याप्त (सखायः) मित्र हुए (शिवासः) मङ्गल अर्थात् अच्छे आचरण करते (सन्तः) हुए (अशिवाः) अमङ्गल आचरण करनेवाले (अभूवन्) होवें उनका आपके नौकर और आप (अधूर्षत) नाश करो और हे राजा के नौकरो ! जो (एते) ये (स्वयम्) अपने ही (वचोभिः) वचनों से (वृजिनानि) धनों और बलों का (ब्रुवन्तः) उपदेश देते हुए (ऋजूयते) सरल होते हैं, उनका निरन्तर पालन करो ॥५॥
Connotation: - मनुष्यों को यह योग्यता है कि जो मित्रजन शत्रु होवें, वे निरादर करने योग्य हैं और जो शत्रु मित्र होवें, वे सत्कार करने योग्य हैं ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! य एते ते विषुणाः सखायः शिवासः सन्तोऽशिवा अभूवँस्तांस्तव भृत्यास्त्वं चाऽधूर्षत घ्नन्तु हिन्धि, हे राजभृत्या ! य एते स्वयं वचोभिर्वृजिनानि ब्रुवन्त ऋजूयते तान् सततं पालयत ॥५॥

Word-Meaning: - (सखायः) सुहृदः सन्तः (ते) तव (विषुणाः) विद्यां व्याप्नुवन्तः (अग्ने) विद्वन् (एते) (शिवासः) मङ्गलाचरणाः (सन्तः) (अशिवाः) अमङ्गलाचरणाः (अभूवन्) भवेयुः (अधूर्षत) हिंसन्तु (स्वयम्) (एते) (वचोभिः) (ऋजूयते) ऋजूयन्ते (वृजिनानि) धनानि बलानि वा (ब्रुवन्तः) उपदिशन्तः ॥५॥
Connotation: - मनुष्याणां योग्यतास्ति ये मित्रजना असुहृदो भवेयुस्ते तिरस्करणीया येऽरयस्सखायस्स्युस्ते सत्कर्त्तव्याः ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे मित्र शत्रू बनतात ते निरादर करण्यायोग्य असतात व जे शत्रू मित्र होतात ते सत्कार करण्यायोग्य असतात. ॥ ५ ॥