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उ॒त ग्ना अ॒ग्निर॑ध्व॒र उ॒तो गृ॒हप॑ति॒र्दमे॑। उ॒त ब्र॒ह्मा नि षी॑दति ॥४॥

English Transliteration

uta gnā agnir adhvara uto gṛhapatir dame | uta brahmā ni ṣīdati ||

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Pad Path

उ॒त। ग्नाः। अ॒ग्निः। अ॒ध्व॒रे। उ॒तो इति॑। गृ॒हऽप॑तिः। दमे॑। उ॒त। ब्र॒ह्मा। नि। सी॒द॒ति॒॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:9» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:9» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वानों के गुणों को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (गृहपतिः) गृह का स्वामी (अग्निः) अग्नि के सदृश (ग्नाः) उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियों को (नि, सीदति) प्राप्त होता (उत) और (ब्रह्मा) चार वेद का पढ़नेवाला होता हुआ (अध्वरे) नहीं हिंसा करने योग्य दमनयुक्त (दमे) गृह में स्थित होता है (उतो) और कर्म्म करता और (उत) भी सब को बोध कराता है, वही सत्कार करने योग्य होता है, ऐसा जानो ॥४॥
Connotation: - जो मनुष्य अग्नि के सदृश पवित्र विद्यावाले और चारों वेदों के ज्ञाता और भी उत्तम कर्म्मों के करनेवाले गृह के स्वामी होवें, वे ही श्रेष्ठ अधिकारों में वर्त्तमान होवें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणानाह ॥

Anvay:

हे मनुष्याः ! यो गृहपतिरग्निरिव ग्ना निषीदति उत ब्रह्मा सन्नध्वरे दमे निषीदति उतो कर्म्म करोति उतापि सर्वान् बोधयति स एव सत्कर्त्तव्यो भवतीति विजानीत ॥४॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (ग्नाः) सुशिक्षिता वाचः (अग्निः) पावक इव (अध्वरे) अहिंसनीये (उतो) अपि (गृहपतिः) (दमे) दान्ते गृहे (उत) (ब्रह्मा) (नि) (सीदति) ॥४॥
Connotation: - ये मनुष्या पावकवत्पवित्रविद्या उतापि चतुर्वेदविदः प्रशस्तकर्म्मकर्त्तारो गृहस्वामिनस्स्युस्त एवोत्तमाऽधिकारेषु निषीदन्तु ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - अग्नीप्रमाणे पवित्र विद्यायुक्त व चारही वेदांचे ज्ञाते तसेच प्रशंसित कर्म करणारी माणसे गृहस्वामी असतील तर त्यांनाच श्रेष्ठ अधिकारपद प्राप्त व्हावे. ॥ ४ ॥