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स विप्र॑श्चर्षणी॒नां शव॑सा॒ मानु॑षाणाम्। अति॑ क्षि॒प्रेव॑ विध्यति ॥८॥

English Transliteration

sa vipraś carṣaṇīnāṁ śavasā mānuṣāṇām | ati kṣipreva vidhyati ||

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Pad Path

सः। विप्रः॑। च॒र्ष॒णी॒नाम्। शव॑सा। मानु॑षाणाम्। अति॑। क्षि॒प्राऽइ॑व। वि॒ध्य॒ति॒॥८॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:8» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:8 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (विप्रः) बुद्धिमान् पुरुष (शवसा) बल से (चर्षणीनाम्) ऐश्वर्य्य से प्रकाशमान (मानुषाणाम्) मनुष्यों के मध्य में (क्षिप्रेव) प्रेरणा किये गयों के सदृश दुःखों को (अति) अत्यन्त (विध्यति) ताड़ता है (सः) वही प्रशंसित होता है ॥८॥
Connotation: - जो विद्वान् लोग अग्नि आदि विद्या के प्रयोगों से मनुष्यों के दारिद्र्य का नाश करके ऐश्वर्य्य के योग को उत्पन्न करते हैं, वे ही सब लोगों को सत्कार करने योग्य और सभों में भाग्यशाली होते हैं ॥८॥ इस सूक्त में अग्नि और विद्वान् के गुण वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥८॥ यह अष्टम सूक्त और अष्टम वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यो विप्रः शवसा चर्षणीनां मानुषाणां क्षिप्रेव दुःखान्यतिविध्यति स एव प्रशंसितो भवति ॥८॥

Word-Meaning: - (सः) (विप्रः) मेधावी (चर्षणीनाम्) ऐश्वर्य्येण प्रकाशमानानाम् (शवसा) बलेन (मानुषाणाम्) मानवानां मध्ये (अति) अतिशये (क्षिप्रेव) क्षिप्राणि प्रेरितानीव (विध्यति) ताडयति ॥८॥
Connotation: - ये विपश्चितोऽग्न्यादिविद्याप्रयोगैर्मनुष्याणां दारिद्र्यं विनाश्यैश्वर्य्ययोगं जनयन्ति त एव सर्वैः सत्कर्त्तव्याः सर्वेषु भाग्यशालिनः सन्तीति ॥८॥ अत्राग्निविद्वद्गुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥८॥ इत्यष्टमं सूक्तमष्टमो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान अग्नी इत्यादी विद्येच्या प्रयोगाने माणसांच्या दारिद्र्याचा नाश करून ऐश्वर्य उत्पन्न करतात सर्व लोकांनी त्यांचा सत्कार करावा असे ते असतात व सर्वात भाग्यशाली असतात. ॥ ८ ॥