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य॒ता सु॑जू॒र्णी रा॒तिनी॑ घृ॒ताची॑ प्रदक्षि॒णिद्दे॒वता॑तिमुरा॒णः। उदु॒ स्वरु॑र्नव॒जा नाक्रः प॒श्वो अ॑नक्ति॒ सुधि॑तः सु॒मेकः॑ ॥३॥

English Transliteration

yatā sujūrṇī rātinī ghṛtācī pradakṣiṇid devatātim urāṇaḥ | ud u svarur navajā nākraḥ paśvo anakti sudhitaḥ sumekaḥ ||

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Pad Path

य॒ता। सु॒ऽजू॒र्णिः। रा॒तिनी॑। घृ॒ताची॑। प्र॒ऽद॒क्षि॒णित्। दे॒वऽता॑तिम्। उ॒रा॒णः। उत्। ऊ॒म् इति॑। स्वरुः॑। न॒व॒ऽजाः। न। अ॒क्रः। प॒श्वः। अ॒न॒क्ति॒। सुऽधि॑तः। सु॒ऽमेकः॑॥३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:6» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (सुजूर्णिः) उत्तम प्रकार शीघ्रता करनेवाली (यता) प्राप्त (रातिनी) बहुत देनेवाले जिसके ऐसी (प्रदक्षिणित्) दहिनी ओर प्राप्त होनेवाली (घृताची) रात्रि (देवतातिम्) श्रेष्ठ गुणों से युक्त वेला को (उत्, अनक्ति) शोभा करती है और जैसे उसको (उराणः) बहुतों को जिलानेवाला (सुधितः) उत्तम प्रकार धारण किये हुए (सुमेकः) सुन्दर प्रकाशमान (अक्रः) नहीं किञ्चित् चलनेवाला, किन्तु वेग से जानेवाला (नवजाः) नवीनों में उत्पन्न सूर्य्य (स्वरुः) उपदेश देनेवाले के (न) समान शोभा करता है, वैसे विद्वान् वर्त्ताव करें (उ) और वह (पश्वः) पशुओं की न हिंसा करे ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। उपदेशक लोग रात्रि और दिन में सभों के करने योग्य सेवा का उपदेश देवें, जिससे कि शयन जागरण आदि से युक्त आहार और विहारों को करके अपने हितों को सिद्ध करनेवाले होवें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा सुजूर्णिर्यता रातिनी प्रदक्षिणिद् घृताची देवतातिमुदनक्ति यथा तामुराणस्सुधितस्सुमेकोऽक्रो नवजाः सूर्यः स्वरुर्न उदनक्ति तथा विद्वान् वर्त्तेत स उ पश्वो न हिंस्यात् ॥३॥

Word-Meaning: - (यता) प्राप्ता (सुजूर्णिः) सुष्ठु शीघ्रकारिणी (रातिनी) बहवो राता दातारो विद्यन्ते यस्याः सा (घृताची) रात्रिः। घृताचीति रात्रिनामसु पठितम्। (निघं०१.७) (प्रदक्षिणित्) या प्रदक्षिणमेति सा। अत्र वाच्छन्दसीत्यलोपः। (देवतातिम्) दिव्यगुणान्विताम् (उराणः) य उरून् बहूननिति प्राणयति सः (उत्) (उ) (स्वरुः) उपदेष्टा (नवजाः) नवेषु सुनवीनेषु जातः (न) इव (अक्रः) अक्रमिता (पश्वः) पशून् (अनक्ति) कामयते (सुधितः) सुहितः (सुमेकः) सुष्ठु प्रकाशमानः ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। उपदेशका रात्रौ दिने सर्वैः कर्त्तव्यां परिचर्य्यामुपदिशेयुर्येन शयनजागरणादियुक्ताहारविहारान् कृत्वा सिद्धहिता भवेयुः ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. उपदेशकांनी सर्वांना सेवा करण्याचा उपदेश द्यावा. ज्यामुळे ते झोप व जागरण इत्यादी युक्त आहार-विहार करून आपले हित सिद्ध करणारे व्हावेत. ॥ ३ ॥