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ये ह॒ त्ये ते॒ सह॑माना अ॒यास॑स्त्वे॒षासो॑ अग्ने अ॒र्चय॒श्चर॑न्ति। श्ये॒नासो॒ न दु॑वस॒नासो॒ अर्थं॑ तुविष्व॒णसो॒ मारु॑तं॒ न शर्धः॑ ॥१०॥

English Transliteration

ye ha tye te sahamānā ayāsas tveṣāso agne arcayaś caranti | śyenāso na duvasanāso arthaṁ tuviṣvaṇaso mārutaṁ na śardhaḥ ||

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Pad Path

ये। ह॒। त्ये। ते॒। सह॑मानाः। अ॒यासः॑। त्वे॒षासः॑। अ॒ग्ने॒। अ॒र्चयः॑। चर॑न्ति। श्ये॒नासः॑। न। दु॒व॒स॒नासः॑। अर्थ॑म्। तु॒वि॒ऽस्व॒नसः॑। मारु॑तम्। न। शर्धः॑॥१०॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:6» Mantra:10 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:5» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश वर्त्तमान ! (ये) जो लोग (ते) आपके (सहमानाः) सुख दुःख आदि व्यवहारों के सहनेवाले (अयासः) विज्ञान को प्राप्त (त्वेषासः) प्रकाशमान (श्येनासः) और बाजपक्षी के सदृश शीघ्र चलनेवाले घोड़ों के (न) सदृश (दुवसनासः) ले चलने और (तुविष्वणसः) बलों के माँगनेवाले (मारुतम्) पवनसम्बन्धी (शर्धः) बल को (न) जैसे (अर्चयः) उत्तम क्रिया वैसे (अर्थम्) द्रव्य को (चरन्ति) प्राप्त होते हैं (त्ये) वे (ह) ही अन्य जन आपको सत्कार करने योग्य होते हैं ॥१०॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जो लोग क्षमा से युक्त, धर्म्मसम्बन्धी कर्म्म के आचरण से प्रकाशमान, उत्तम यशवाले, घोड़े के सदृश कार्य्यकर्ता और बलवान् हों, वे सत्कार करने योग्य होवें ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! ये ते सहमाना अयासस्त्वेषासः श्येनासो न दुवसनासस्तुविष्वणसो मारुतं शर्धो नाऽर्चयोऽर्थञ्चरन्ति त्ये ह त्वया सत्कर्त्तव्या भवन्ति ॥१०॥

Word-Meaning: - (ये) (ह) खलु (त्ये) अन्ये (ते) तव (सहमानाः) सुखदुःखादीनां सोढारः (अयासः) प्राप्तविज्ञानासः (त्वेषासः) प्रकाशमानाः (अग्ने) पावकवद्वर्त्तमान (अर्चयः) सत्क्रियाः (चरन्ति) प्राप्नुवन्ति गच्छन्ति वा (श्येनासः) श्येनः पक्षीव सद्यो गन्तारोऽश्वाः (न) इव (दुवसनासः) परिचारकाः (अर्थम्) द्रव्यम् (तुविष्वणसः) ये तुवींषि बलानि वन्वते याचन्ते ते (मारुतम्) मरुतामिदम् (न) इव (शर्धः) बलम् ॥१०॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! ये क्षमान्विता धर्म्यकर्माचरणेन प्रकाशमानाः सत्कीर्त्तयोऽश्ववत्कार्य्यकरा बलवन्तः स्युस्ते सत्कर्त्तव्या भवेयुः ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जे लोक क्षमाशील, धर्मकर्म आचरणाने प्रकाशित, कीर्तिवान, अश्वाप्रमाणे क्रियाशील व बलवान असतात ते सत्कार करण्यायोग्य असतात. ॥ १० ॥