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शु॒नं वा॒हाः शु॒नं नरः॑ शु॒नं कृ॑षतु॒ लाङ्ग॑लम्। शु॒नं व॑र॒त्रा ब॑ध्यन्तां शु॒नमष्ट्रा॒मुदि॑ङ्गय ॥४॥

English Transliteration

śunaṁ vāhāḥ śunaṁ naraḥ śunaṁ kṛṣatu lāṅgalam | śunaṁ varatrā badhyantāṁ śunam aṣṭrām ud iṅgaya ||

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Pad Path

शु॒नम्। वा॒हाः। शु॒नम्। नरः॑। शु॒नम्। कृ॒ष॒तु॒। लाङ्ग॑लम्। शु॒नम्। व॒र॒त्राः। ब॑ध्य॒न्ताम्। शु॒नम्। अष्ट्रा॑म्। उत्॑। इ॒ङ्ग॒य॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:57» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:9» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे खेती करनेवाले जन ! जैसे (वाहाः) बैल आदि पशु (शुनम्) सुख को प्राप्त हों (नरः) मुखिया कृषीवल (शुनम्) सुख को करें (लाङ्गलम्) हल का अवयव (शुनम्) सुख जैसे हो, वैसे (कृषतु) पृथिवी में प्रविष्ट हो और (वरत्राः) बैल की रस्सी (शुनम्) सुखपूर्वक (बध्यन्ताम्) बाँधी जायें, वैसे (अष्ट्राम्) खेती के साधन के अवयव को (शुनम्) सुखपूर्वक (उत्, इङ्गय) ऊपर चलाओ ॥४॥
Connotation: - खेती करनेवाले जन उत्तम हल आदि सामग्री, वृषभ और बीजों को इकट्ठे करके खेतों को उत्तम प्रकार जोत कर उनमें उत्तम अन्नों को उत्पन्न करें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे कृषीवल ! यथा वाहाः शुनं गच्छन्तु नरः शुनं कुर्वन्तु लाङ्गलं शुनं कृषतु वरत्राः शुनं बध्यन्तां तथाऽष्ट्रां शुनमुदिङ्गय ॥४॥

Word-Meaning: - (शुनम्) सुखम् (वाहाः) वृषभादयः (शुनम्) (नरः) नेतारः कृषीवलाः (शुनम्) (कृषतु) (लाङ्गलम्) हलावयवः (शुनम्) (वरत्राः) रश्मयः (बध्यन्ताम्) (शुनम्) (अष्ट्राम्) कृषिसाधनावयवम् (उत्) (इङ्गय) गमय ॥४॥
Connotation: - कृषीवला उत्तमानि हलादिसामग्रीवृषभबीजानि सम्पाद्य क्षेत्राणि सुष्ठु निष्पाद्य तत्रोत्तमान्यन्नानि निष्पादयन्तु ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - शेतकऱ्यांनी उत्तम नांगर इत्यादी साधने बैल व बीज वगैरेनी शेत उत्तम प्रकारे नांगरून उत्तम अन्न तयार करावे. ॥ ४ ॥