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क्षेत्र॑स्य॒ पति॑ना व॒यं हि॒तेने॑व जयामसि। गामश्वं॑ पोषयि॒त्न्वा स नो॑ मृळाती॒दृशे॑ ॥१॥

English Transliteration

kṣetrasya patinā vayaṁ hiteneva jayāmasi | gām aśvam poṣayitnv ā sa no mṛḻātīdṛśe ||

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Pad Path

क्षेत्र॑स्य। पति॑ना। व॒यम्। हि॒तेन॑ऽइव। ज॒या॒म॒सि॒। गाम्। अश्व॑म्। पो॒ष॒यि॒त्नु। आ। सः। नः॒। मृ॒ळा॒ति॒। ई॒दृशे॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:57» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:9» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब आठ ऋचावाले सत्तावनवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में कृषिकर्म को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जिस (क्षेत्रस्य) अन्न की उत्पत्ति के आधारस्थान अर्थात् खेत के (पतिना) स्वामी से (वयम्) हम लोग (हितेनेव) हित की सिद्धि करनेवाली सेना के सदृश (गाम्) पृथिवी (अश्वम्) घोड़ा (पोषयित्नु) और पुष्टि करनेवाले द्रव्य को (जयामसि) जीतते हैं (सः) वह क्षेत्र का स्वामी (ईदृशे) ऐसे में (नः) हम लोगों को (आ, मृळाति) सुख देवें ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे उत्तम प्रकार शिक्षित और अनुरक्त सेना से वीरजन विजय को प्राप्त होते हैं, वैसे ही कृषि अर्थात् खेतीकर्म्म में चतुर जन ऐश्वर्य्य को प्राप्त होते हैं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ कृषिकर्माह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! येन क्षेत्रस्य पतिना सहिता वयं हितेनेव गामश्वं पोषयित्नु द्रव्यं जयामसि स क्षेत्रपतिरीदृशे न आ मृळाति सुखयेत् ॥१॥

Word-Meaning: - (क्षेत्रस्य) शस्यस्योपत्त्यधिकरणस्य (पतिना) स्वामिना। अत्र षष्ठीयुक्तश्छन्दसि वेति पतिशब्दस्य घिसंज्ञा। (वयम्) (हितेनेव) हितसाधकेन सैन्येनेव (जयामसि) जयामः (गाम्) पृथिवीम् (अश्वम्) तुरङ्गम् (पोषयित्नु) पुष्टिकरम् (आ) (सः) (नः) अस्मान् (मृळाति) (ईदृशे) ॥१॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यथा सुशिक्षितेनानुरक्तेन सैन्येन वीरा विजयं प्राप्नुवन्ति तथैव कृषिकर्मसु कुशला ऐश्वर्यं लभन्ते ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे सुशिक्षित व संतुष्ट सेनेमुळे वीर पुरुष विजय प्राप्त करतात, तसेच शेतकरीही ऐश्वर्य प्राप्त करतात. ॥ १ ॥