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नू रो॑दसी बृ॒हद्भि॑र्नो॒ वरू॑थैः॒ पत्नी॑वद्भिरि॒षय॑न्ती स॒जोषाः॑। उ॒रू॒ची विश्वे॑ यज॒ते नि पा॑तं धि॒या स्या॑म र॒थ्यः॑ सदा॒साः ॥४॥

English Transliteration

nū rodasī bṛhadbhir no varūthaiḥ patnīvadbhir iṣayantī sajoṣāḥ | urūcī viśve yajate ni pātaṁ dhiyā syāma rathyaḥ sadāsāḥ ||

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Pad Path

नु। रो॒द॒सी॒ इति॑। बृ॒हत्ऽभिः॑। नः॒। वरू॑थैः। पत्नी॑वत्ऽभिः। इ॒षय॑न्ती॒ इति॑। स॒ऽजोषाः॑। उ॒रू॒ची इति॑। विश्वे॒ इति॑। य॒ज॒ते इति॑। नि। पा॒त॒म्। धि॒या। स्या॒म॒। र॒थ्यः॑। स॒दा॒ऽसाः ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:56» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (सजोषाः) तुल्य प्रीति का सेवन करनेवाला विद्वान् (धिया) बुद्धि वा कर्म्म से जो (इषयन्ती) सुख को प्राप्त कराती हुईं (उरूची) बहुतों का आदर करनेवाली (विश्वे) अन्तरिक्ष में प्रविष्ट (यजते) मिलने योग्य और (बृहद्भिः) जो बड़े (पत्नीवद्भिः) बहुत स्त्रियों से युक्त (वरूथैः) उत्तम गृह उनके साथ वर्त्तमान (रोदसी) सूर्य्य और पृथिवी (नः) हम लोगों की (नि) अत्यन्त (पातम्) रक्षा करती हैं उनको जानता है, वैसे इनको जान के हम लोग (रथ्यः) बहुत रथ आदि से युक्त (सदासाः) सेवकों के सहित (नू) शीघ्र (स्याम) होवें ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य बहुत और बड़े पदार्थों से युक्त बिजुली और भूमि को विशेष करके जानते हैं, वे शीघ्र लक्ष्मीवान् होते हैं ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा सजोषा विद्वान् धिया ये इषयन्ती उरूची विश्वे यजते बृहद्भिः पत्नीवद्भिर्वरूथैस्सह वर्त्तमाने रोदसी नोऽस्मान् नि पातं ते जानाति तथैते विदित्वा वयं रथ्यः सदासा नू स्याम ॥४॥

Word-Meaning: - (नू) सद्यः। अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (बृहद्भिः) महद्भिः (नः) अस्मान् (वरूथैः) उत्तमैर्गृहैः (पत्नीवद्भिः) बह्व्यः पत्न्यो विद्यन्ते येषु तैः (इषयन्ती) सुखं प्रापयन्त्यौ (सजोषाः) समानप्रीतिसेवी (उरूची) य उरून् बहूनञ्चतस्ते (विश्वे) अन्तरिक्षे प्रविष्टे (यजते) सङ्गन्तव्ये (नि) नितराम् (पातम्) रक्षतः। अत्र पुरुषव्यत्ययः। (धिया) प्रज्ञया कर्मणा वा (स्याम) भवेम (रथ्यः) बहुरथादियुक्ताः (सदासाः) ससेवकाः ॥४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्या बहुभिर्बृहद्भिः पदार्थैर्युक्ते विद्युद्भूमी विजानन्ति ते सद्यः श्रीमन्तो जायन्ते ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे अनेक मोठ्या पदार्थांनी युक्त विद्युत व भूमीला विशेष रूपाने जाणतात ती लवकर श्रीमंत होतात. ॥ ४ ॥