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अ॒स्मे इ॑न्द्राबृहस्पती र॒यिं ध॑त्तं शत॒ग्विन॑म्। अश्वा॑वन्तं सह॒स्रिण॑म् ॥४॥

English Transliteration

asme indrābṛhaspatī rayiṁ dhattaṁ śatagvinam | aśvāvantaṁ sahasriṇam ||

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Pad Path

अ॒स्मे इति॑। इ॒न्द्राबृ॒ह॒स्प॒ती॒ इति॑। र॒यिम्। ध॒त्तम्। श॒त॒ऽग्विन॑म्। अश्व॑ऽवन्तम्। स॒ह॒स्रिण॑म् ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:49» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:25» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्राबृहस्पती) बिजुली और सूर्य्य के सदृश राजा और प्रधान जनो ! आप दोनों (अस्मे) हम लोगों के लिये (शतग्विनम्) असङ्ख्यात गौओं और (अश्वावन्तम्) उत्तम घोड़ों आदि से युक्त (सहस्रिणम्) असंख्य पदार्थ जिसमें विद्यमान उस (रयिम्) धन को (धत्तम्) धारण करो ॥४॥
Connotation: - तभी राजा और प्रधानादिकों की प्रशंसा होवे कि जब सब प्रजा को धन और विद्या से युक्त करें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्राबृहस्पती ! युवामस्मे शतग्विनमश्वावन्तं सहस्रिणं रयिं धत्तम् ॥४॥

Word-Meaning: - (अस्मे) अस्मभ्यम्। अत्र शे इति सूत्रेण प्रगृह्यसञ्ज्ञा, प्लुतप्रगृह्या अचि नित्यमिति सन्ध्यभावः। (इन्द्राबृहस्पती) विद्युत्सूर्य्याविव राजप्रधानौ (रयिम्) धनम् (धत्तम्) (शतग्विनम्) शतग्वोऽसङ्ख्याता गावो विद्यन्ते यस्मिँस्तम् (अश्वावन्तम्) प्रशस्ताऽश्वादिसहितम् (सहस्रिणम्) सहस्रमसङ्ख्याः पदार्था विद्यन्ते यस्मिँस्तम् ॥४॥
Connotation: - तदैव राजप्रधानादीनां प्रशंसा जायेत यदा सर्वां प्रजां धनाढ्यां विदुषीं च ते कुर्य्युः ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जेव्हा सर्व प्रजेला धन व विद्येने युक्त केले जाते. तेव्हाच राजा व प्रधान यांची प्रशंसा होते. ॥ ४ ॥