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वायो॑ श॒तं हरी॑णां यु॒वस्व॒ पोष्या॑णाम्। उ॒त वा॑ ते सह॒स्रिणो॒ रथ॒ आ या॑तु॒ पाज॑सा ॥५॥

English Transliteration

vāyo śataṁ harīṇāṁ yuvasva poṣyāṇām | uta vā te sahasriṇo ratha ā yātu pājasā ||

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Pad Path

वायो॒ इति॑ श॒तम्। हरी॑णाम्। यु॒वस्व॑। पोष्या॑णाम्। उ॒त। वा॒। ते॒। स॒ह॒स्रिणः॑। रथः॑। आ। या॒तु। पाज॑सा ॥५॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:48» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वायो) राजन् ! आप (पोष्याणाम्) पोषण करने योग्य (हरीणाम्) मनुष्यों के (शतम्) असङ्ख्य को (युवस्व) कर्मों के बीच प्रेरणा देओ (उत, वा) अथवा (सहस्रिणः) असंख्य पुरुष और धन से युक्त (ते) आपके (पाजसा) बल से (रथः) वाहन (आ, यातु) सब ओर से प्राप्त हो ॥५॥
Connotation: - हे राजन् ! जो राज्य करने की इच्छा करो तो उत्तम सहायों का ग्रहण करो ॥५॥ इस सूक्त में राजगुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥५॥ यह अड़तालीसवाँ सूक्त और चौबीसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वायो राजंस्त्वं पोष्याणां हरीणां शतं युवस्वोत वा सहस्रिणस्ते पाजसा रथ आयातु ॥५॥

Word-Meaning: - (वायो) (राजन्) (शतम्) असङ्ख्यम् (हरीणाम्) मनुष्याणाम् (युवस्व) कर्मसु प्रेर्स्व (पोष्याणाम्) पोषितुं योग्यानाम् (उत) (वा) (ते) तव (सहस्रिणः) असङ्ख्यपुरुषधनयुक्तस्य (रथः) (आ) (यातु) समन्तात्प्राप्नोतु (पाजसा) बलेन ॥५॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि राज्यं कर्त्तुमिच्छेस्तर्हि सुसहायान् गृहाणेति ॥५॥ अत्र राजगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥५॥ इत्यष्टचत्वारिंशत्तमं सूक्तं चतुर्विंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! जर राज्य करण्याची इच्छा असेल तर उत्तम साह्य प्राप्त कर. ॥ ५ ॥