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नू नो॑ र॒यिं पु॑रु॒वीरं॑ बृ॒हन्तं॒ दस्रा॒ मिमा॑थामु॒भये॑ष्व॒स्मे। नरो॒ यद्वा॑मश्विना॒ स्तोम॒माव॑न्त्स॒धस्तु॑तिमाजमी॒ळ्हासो॑ अग्मन् ॥६॥

English Transliteration

nū no rayim puruvīram bṛhantaṁ dasrā mimāthām ubhayeṣv asme | naro yad vām aśvinā stomam āvan sadhastutim ājamīḻhāso agman ||

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Pad Path

नु। नः॒। र॒यिम्। पु॒रु॒ऽवीर॑म्। बृ॒हन्त॑म्। दस्रा॑। मिमा॑थाम्। उ॒भये॑षु। अ॒स्मे इति॑। नरः॑। यत्। वा॒म्। अ॒श्वि॒ना॒। स्तोम॑म्। आव॑न्। स॒धऽस्तु॑तिम्। आ॒ज॒ऽमी॒ळ्हासः॑। अ॒ग्म॒न् ॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:44» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:20» Mantra:6 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (दस्रा) दुःख के नाश करनेवाले (अश्विना) सूर्य्य और चन्द्रमा के सदृश श्रेष्ठ गुणों से युक्त (यत्) जो (आजमीळ्हासः) बकरों को विद्या से सिञ्चन करनेवालों के पुत्र (नरः) नायकजन ! (वाम्) आप दोनों को और (सधस्तुतिम्) साथ कीर्त्ति को (अग्मन्) प्राप्त होते और (स्तोमम्) प्रशंसा को (आवन्) हम प्राप्त होते हैं उन (नः) हम सब लोगों के लिये आप दोनों (पुरुवीरम्) बहुत वीर हों जिससे उस (बृहन्तम्) बड़े (रयिम्) धन को (मिमाथाम्) धारण करो जिससे (उभयेषु) दोनों राजा और प्रजा जनों में (अस्मे) हम लोगों में लक्ष्मी (नु) शीघ्र बढ़े ॥६॥
Connotation: - हे राजन् और मुख्य मन्त्रीजनो ! आप दोनों सूर्य्य और चन्द्रमा के सदृश हम लोगों में वर्त्ताव कीजिये और बहुत लक्ष्मी को स्थापित कीजिये, जिससे हम लोग धन से युक्त होवें ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे दस्राऽश्विना यदाजमीळ्हासो नरो ! वां सधस्तुतिमग्मन्त्स्तोममावँस्तेभ्यो नोऽस्मभ्यं युवां पुरुवीरं बृहन्तं रयिं मिमाथाम्। यदुभयेष्वस्मे श्रीर्नु वर्द्धेत ॥६॥

Word-Meaning: - (नु) सद्यः (नः) अस्मभ्यम् (रयिम्) (पुरुवीरम्) बहवो वीरा यस्मात्तम् (बृहन्तम्) महान्तम् (दस्रा) दुःखोपक्षयितारौ (मिमाथाम्) विधत्तम् (उभयेषु) राजप्रजाजनेषु (अस्मे) अस्मासु (नरः) नायकाः (यत्) ये (वाम्) युवाम् (अश्विना) सूर्य्याचन्द्रमसाविव शुभगुणयुक्तौ (स्तोमम्) प्रशंसाम् (आवन्) प्राप्नुयामः (सधस्तुतिम्) सहकीर्त्तिम् (आजमीळ्हासः) येऽजान् विद्यया सिञ्चन्ति तदपत्यानि (अग्मन्) प्राप्नुवन्ति ॥६॥
Connotation: - हे राजमुख्याऽमात्यौ ! भवन्तौ सूर्य्याचन्द्रवदस्मासु वर्तेथाम्। पुष्कलां श्रियं स्थापयत यतो वयं धनाढ्या स्याम ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा व मुख्यमंत्री ! तुम्ही दोघे सूर्य व चंद्राप्रमाणे आमच्याबरोबर वागा. पुष्कळ धन मिळवा, ज्यामुळे आम्ही धनाने युक्त व्हावे. ॥ ६ ॥