Go To Mantra

अश्व्य॑स्य॒ त्मना॒ रथ्य॑स्य पु॒ष्टेर्नित्य॑स्य रा॒यः पत॑यः स्याम। ता च॑क्रा॒णा ऊ॒तिभि॒र्नव्य॑सीभिरस्म॒त्रा रायो॑ नि॒युतः॑ सचन्ताम् ॥१०॥

English Transliteration

aśvyasya tmanā rathyasya puṣṭer nityasya rāyaḥ patayaḥ syāma | tā cakrāṇā ūtibhir navyasībhir asmatrā rāyo niyutaḥ sacantām ||

Mantra Audio
Pad Path

अश्व्य॑स्य। त्मना॑। रथ्य॑स्य। पु॒ष्टेः। नित्य॑स्य। रा॒यः। पत॑यः। स्या॒म॒। ता। च॒क्रा॒णौ। ऊ॒तिऽभिः॑। नव्य॑सीभिः। अ॒स्म॒ऽत्रा। रायः॑। नि॒ऽयुतः॑। स॒च॒न्ता॒म् ॥१०॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:41» Mantra:10 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:16» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:10


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रजा विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (ता) वे (चक्राणौ) करते हुए दो जन (नव्यसीभिः) नवीन (ऊतिभिः) रक्षा आदि कर्मों से (अस्मत्रा) हम लोगों में वर्त्तमान (रायः) धन के सम्बन्ध को प्राप्त होवें और (नियुतः) निश्चययुक्त पदार्थ (सचन्ताम्) सम्बद्ध होवें, वैसे हम लोग (त्मना) आत्मा से अपने (अश्व्यस्य) शीघ्र चलनेवालों में उत्पन्न हुए (रथ्यस्य) रमण करने योग्य वाहनों में श्रेष्ठ (पुष्टेः) पुष्टि के सम्बन्ध में (नित्यस्य) नित्य वर्त्तमान (रायः) धन के (पतयः) स्वामी (स्थाम) होवें ॥१०॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को चाहिये कि जैसे युक्त अर्थात् कार्य में लगे हुए पुरुष सम्पूर्ण ऐश्वर्य्य को प्राप्त होते हैं, वैसे हम लोग सम्पूर्ण आनन्द को प्राप्त होवें, ऐसी इच्छा करें ॥१०॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रजाविषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा ता चक्राणौ नव्यसीभिरूतिभिरस्मत्रा रायः सम्बन्धं प्राप्नुयातां नियुतश्च सचन्तां तथा वयं त्मना स्वस्याश्व्यस्य रथ्यस्य पुष्टेर्नित्यस्य रायः पतयः स्याम ॥१०॥

Word-Meaning: - (अश्व्यस्य) अश्वेष्वाशुगामिषु भवस्य (त्मना) आत्मना (रथ्यस्य) रथेषु रमणीयेषु साधोः (पुष्टेः) (नित्यस्य) (रायः) धनस्य (पतयः) स्वामिनः (स्याम) (ता) तौ (चक्राणौ) कुर्वन्तौ (ऊतिभिः) रक्षादिभिः (नव्यसीभिः) (अस्मत्रा) अस्मासु वर्त्तमानस्य (रायः) (नियुतः) निश्चययुक्ताः (सचन्ताम्) सम्बध्नन्तु ॥१०॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैर्यथा युक्ताः पुरुषाः सर्वैश्वर्य्यमाप्नुवन्ति तथैव वयं सर्वाऽऽनन्दं प्राप्नुयामेतीच्छा कार्य्या ॥१०॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे कार्यमग्न असलेले पुरुष संपूर्ण ऐश्वर्य प्राप्त करतात तसे आम्हाला संपूर्ण आनंद प्राप्त व्हावा अशी माणसांनी इच्छा करावी. ॥ १० ॥