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स ते॑ जानाति सुम॒तिं य॑विष्ठ॒ य ईव॑ते॒ ब्रह्म॑णे गा॒तुमैर॑त्। विश्वा॑न्यस्मै सु॒दिना॑नि रा॒यो द्यु॒म्नान्य॒र्यो वि दुरो॑ अ॒भि द्यौ॑त् ॥६॥

English Transliteration

sa te jānāti sumatiṁ yaviṣṭha ya īvate brahmaṇe gātum airat | viśvāny asmai sudināni rāyo dyumnāny aryo vi duro abhi dyaut ||

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Pad Path

सः। ते॒। जा॒ना॒ति। सु॒ऽम॒तिम्। य॒वि॒ष्ठ॒। यः। ईव॑ते। ब्रह्म॑णे। गा॒तुम्। ऐर॑त्। विश्वा॑नि। अ॒स्मै॒। सु॒ऽदिना॑नि। रा॒यः। द्यु॒म्नानि॑। अ॒र्यः। वि। दुरः॑। अ॒भि। द्यौ॒त्॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:4» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (यविष्ठ) अत्यन्त युवावस्थायुक्त ! (यः) जो (अर्यः) स्वामी (ईवते) विद्या से व्याप्त (ब्रह्मणे) वेद जाननेवाले के लिये (गातुम्) प्रशंसित वाणी को (ऐरत्) प्राप्त कराये (अस्मै) इसके लिये (विश्वानि) सम्पूर्ण (सुदिनानि) सुख करनेवाले दिनों (रायः) धनों (द्युम्नानि) प्रकाशित यशों (दुरः) और यश के द्वारों को (अभि, वि, द्यौत्) प्रकाशित करे (सः) वह विद्वान् (ते) आपकी (सुमतिम्) श्रेष्ठ बुद्धि को (जानाति) जानता है ॥६॥
Connotation: - हे राजन् ! जो लोग नित्य मङ्गल आचरण करनेवाले यशयुक्त अनुरक्त अर्थात् स्नेही शूरवीर और राज्यव्यवहार के जाननेवाले आपको चितावें, उनको आप मित्र जानिये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे यविष्ठ ! योऽर्य ईवते ब्रह्मणे गातुमैरदस्मै विश्वानि सुदिनानि रायो द्युम्नानि दुरोऽभि वि द्यौत् स ते सुमतिं जानाति ॥६॥

Word-Meaning: - (सः) विद्वान् (ते) तव (जानाति) (सुमतिम्) श्रेष्ठां प्रज्ञाम् (यविष्ठ) (यः) (ईवते) विद्याव्याप्ताय (ब्रह्मणे) वेदविदे (गातुम्) प्रशंसितां वाणीम् (ऐरत्) प्रापयेत् (विश्वानि) सर्वाणि (अस्मै) (सुदिनानि) सुखकराणि (रायः) धनानि (द्युम्नानि) यशांसि (अर्यः) स्वामी (वि) (दुरः) द्वाराणि (अभि) (द्यौत्) द्योतयेत् ॥६॥
Connotation: - हे राजन् ! ये नित्यमङ्गलाचारिणो यशस्विनोऽनुरक्ताश्शूरा राजव्यवहारविदस्त्वां बोधयेयुस्ताँस्त्वं सुहृदो जानीहि ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ -हे राजा ! जे लोक नित्य शुभाचरणी, यशस्वी, स्नेही, शूरवीर व राज्यव्यवहार कुशल असून तुला जाणतात त्यांना तू मित्र समज. ॥ ६ ॥