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अस्व॑प्नजस्त॒रण॑यः सु॒शेवा॒ अत॑न्द्रासोऽवृ॒का अश्र॑मिष्ठाः। ते पा॒यवः॑ स॒ध्र्य॑ञ्चो नि॒षद्याग्ने॒ तव॑ नः पान्त्वमूर ॥१२॥

English Transliteration

asvapnajas taraṇayaḥ suśevā atandrāso vṛkā aśramiṣṭhāḥ | te pāyavaḥ sadhryañco niṣadyāgne tava naḥ pāntv amūra ||

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Pad Path

अस्व॑प्नऽजः। त॒रण॑यः। सु॒ऽशेवाः॑। अत॑न्द्रासः। अ॒वृ॒काः। अश्र॑मिष्ठाः। ते। पा॒यवः। स॒ध्र्य॑ञ्चः। नि॒ऽसद्य॑। अग्ने॑। तव॑। नः॒। पा॒न्तु॒। अ॒मू॒र॒॥१२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:4» Mantra:12 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:25» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रजाजनों के रक्षा विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अमूर) मूर्खतादि दोषों से रहित (अग्ने) अग्नि सदृश तेजस्विन् राजन् ! जो जन (तव) आपके (अस्वप्नजः) जागनेवाले (तरणयः) युवावस्था को प्राप्त (अतन्द्रासः) आलस्य (अवृकाः) चोरीपन (अश्रमिष्ठाः) और अत्यन्त थकावट से रहित (सुशेवाः) उत्तम सुखयुक्त (सध्र्यञ्चः) साथ जाने वा सत्कार करने और (पायवः) पालन करनेवाले नौकर हैं (ते) वे (निषद्य) निरन्तर स्थित होकर (नः) हम लोगों की (पान्तु) रक्षा करें ॥१२॥
Connotation: - प्रजाजनों को चाहिये कि सदा ही राजा को उपदेश देवें कि हे राजन् ! आपकी ओर से हम लोगों की रक्षा में धार्मिक आलस्यरहित पुरुषार्थी और बलवान् जन नियत हों ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रजाजनरक्षाविषयमाह ॥

Anvay:

हे अमूराऽग्ने राजन् ! ये तवाऽस्वप्नजस्तरणयोऽतन्द्रासोऽवृका अश्रमिष्ठाः सुशेवाः सध्र्यञ्चः पायवो भृत्याः सन्ति ते निषद्य नः पान्तु ॥१२॥

Word-Meaning: - (अस्वप्नजः) जागरूकाः (तरणयः) तरुणावस्थां प्राप्ताः (सुशेवाः) सुसुखाः (अतन्द्रासः) अनलसाः (अवृकाः) अस्तेनाः (अश्रमिष्ठाः) अतिशयेनाऽश्रान्ताः श्रमरहिताः (ते) (पायवः) पालकाः (सध्र्यञ्चः) ये सहाञ्चन्ति ते (निषद्य) नितरां स्थित्वा (अग्ने) (तव) (नः) अस्मान् (पान्तु) रक्षन्तु (अमूर) मूढतादिदोषरहित ॥१२॥
Connotation: - प्रजाजनैः सदैव राजोपदेष्टव्यो हे राजन् ! भवतः सकाशादस्माकं रक्षणे धार्मिका अनलसा पुरुषार्थिनो बलवन्तो जना नियताः सन्त्विति ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ-प्रजेने सदैव राजाला उपदेश द्यावा, की हे राजा! तू आमचे रक्षण करण्यासाठी धार्मिक, आळशी नसले०ल्या, पुरुषार्थी व बलवान लोकांची नेमणूक कर ॥ १२ ॥