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उ॒त स्य वा॒जी सहु॑रिर्ऋ॒तावा॒ शुश्रू॑षमाणस्त॒न्वा॑ सम॒र्ये। तुरं॑ य॒तीषु॑ तु॒रय॑न्नृजि॒प्योऽधि॑ भ्रु॒वोः कि॑रते रे॒णुमृ॒ञ्जन् ॥७॥

English Transliteration

uta sya vājī sahurir ṛtāvā śuśrūṣamāṇas tanvā samarye | turaṁ yatīṣu turayann ṛjipyo dhi bhruvoḥ kirate reṇum ṛñjan ||

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Pad Path

उ॒त। स्यः। वा॒जी। सहु॑रिः। ऋ॒तऽवा॑। शुश्रू॑षमाणः। त॒न्वा॑। स॒ऽम॒र्ये। तुर॑म्। य॒तीषु॑। तु॒रय॑न्। ऋ॒जि॒प्यः। अधि॑। भ्रु॒वोः। कि॒र॒ते॒। रे॒णुम्। ऋ॒ञ्जन् ॥७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:38» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:12» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (स्यः) वह (वाजी) विज्ञानयुक्त (सहुरिः) सहनेवाला (ऋतावा) सत्य आचरण से युक्त (यतीषु) नियत सेनाओं में (तुरम्) शीघ्र करनेवाले को (तुरयन्) शीघ्र चलाता हुआ (उत) भी (ऋजिप्यः) सरलगतिवालों में श्रेष्ठ (तन्वा) शरीर से (शुश्रूषमाणः) सेवन करता और (ऋञ्जन्) प्रसिद्ध करता हुआ (समर्ये) सङ्ग्राम में (भ्रुवोः) भौओं की (रेणुम्) धूलि को (अधि, किरते) उड़ाता है, वह राजा विजयी और सत्कार करने योग्य होता है ॥७॥
Connotation: - वही राज्य करने योग्य होवे जो विद्वान्, सब को सहनेवाला, सत्य का सेवी, उत्तम सेना और सरल स्वभावयुक्त होवे ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्याः ! स्य वाजी सहुरिर्ऋतावा यतीषु तुरं तुरयन्नुतर्जिप्यस्तन्वा शुश्रूषमाण ऋञ्जन् समर्ये भ्रुवो रेणुमधिकिरते स राजा विजयी सत्कर्त्तव्यः ॥७॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (स्यः) सः (वाजी) विज्ञानवान् (सहुरिः) सहनशीलः (ऋतावा) सत्याचरणः (शुश्रूषमाणः) सेवमानः (तन्वा) शरीरेण (समर्ये) सङ्ग्रामे (तुरम्) शीघ्रकारिणम् (यतीषु) नियतासु सेनासु (तुरयन्) सद्यो गमयन् (ऋजिप्यः) सरलगामिषु साधुः (अधि) (भ्रुवोः) (किरते) विकिरति (रेणुम्) धूलिम् (ऋञ्जन्) प्रसाध्नुवन् ॥७॥
Connotation: - स एव राज्यं कर्त्तुमर्हेद्यो विद्वान् सर्वैः सह सत्यसेवी उत्तमसेनः सरलस्वभावो भवेत् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो विद्वान, सहनशील, सत्याचे सेवन करणारा, उत्तम सेनायुक्त व सरळ स्वभावाचा असतो, तोच राज्य करण्यायोग्य असतो. ॥ ७ ॥