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त्र्यु॒दा॒यं दे॒वहि॑तं॒ यथा॑ वः॒ स्तोमो॑ वाजा ऋभुक्षणो द॒दे वः॑। जु॒ह्वे म॑नु॒ष्वदुप॑रासु वि॒क्षु यु॒ष्मे सचा॑ बृ॒हद्दि॑वेषु॒ सोम॑म् ॥३॥

English Transliteration

tryudāyaṁ devahitaṁ yathā vaḥ stomo vājā ṛbhukṣaṇo dade vaḥ | juhve manuṣvad uparāsu vikṣu yuṣme sacā bṛhaddiveṣu somam ||

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Pad Path

त्रि॒ऽउ॒दा॒यम्। दे॒वऽहि॑तम्। यथा॑। वः॒। स्तोमः॑। वा॒जाः॒। ऋ॒भु॒क्ष॒णः॒। द॒दे। वः॒। जु॒ह्वे। म॒नु॒ष्वत्। उप॑रासु। वि॒क्षु। यु॒ष्मे इति॑। सचा॑। बृ॒हत्ऽदि॑वेषु। सोम॑म् ॥३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:37» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:9» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वाजाः) अन्न तथा विज्ञानवाले (ऋभुक्षणः) श्रेष्ठ जनो ! (यथा) जैसे (वः) आप लोगों की वा आप लोगों के लिये (स्तोमः) प्रशंसा मुझको सुख देती है, वैसे आप लोगों के लिये आनन्द को मैं (ददे) देता हूँ और जैसे मैं (मनुष्वत्) विद्वान् के सदृश (वः) आप लोगों को (उपरासु) श्रेष्ठ (विक्षु) मनुष्य आदि प्रजाओं में (सचा) सत्य से (बृहद्दिवेषु) महान् दिव्य पदार्थों में (त्र्युदायम्) मन, देह और वचन इन तीनों से जिसको देते हैं उस (देवहितम्) विद्वानों के लिये हितकारक (सोमम्) ऐश्वर्य्य को (जुह्वे) स्पर्द्धा करता हूँ और (युष्मे) आप लोगों के लिये सुख देता हूँ, वैसे मुझको आप लोग भी बुलाओ और सुख दो ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जैसे विद्वान् जन आप लोगों के लिये सुख देते हैं और आप लोगों के हित की इच्छा करते हैं, वैसे ही आप लोग भी उनके लिये आचरण करो ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वाजा ऋभुक्षणो ! यथा वः स्तोमो मां सुखं ददाति तथा युष्मभ्यमानन्दमहं ददे। यथाहं मनुष्वद्व उपरासु विक्षु सचा बृहद्दिवेषु त्र्युदायं देवहितं सोमं जुह्वे युष्मे सुखं प्रयच्छामि तथा मां यूयमाह्वयत सुखं प्रयच्छत ॥३॥

Word-Meaning: - (त्र्युदायम्) यं मनोदेहवचनैरुदायन्ति तम् (देवहितम्) देवेभ्यो हितकरम् (यथा) (वः) युष्माकं युष्मभ्यं वा (स्तोमः) प्रशंसा (वाजाः) अन्नविज्ञानवन्तः (ऋभुक्षणः) महान्तः (ददे) ददामि (वः) युष्मान् (जुह्वे) स्पर्द्धे (मनुष्वत्) विद्वद्वत् (उपरासु) श्रेष्ठासु (विक्षु) मनुष्यादिप्रजासु (युष्मे) युष्मान् (सचा) सत्येन (बृहद्दिवेषु) दिव्येषु पदार्थेषु (सोमम्) ऐश्वर्य्यम् ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यथा विद्वांसो युष्मभ्यं सुखं ददति युष्माकं हितं चिकीर्षन्ति तथैव यूयमपि तदर्थमाचरत ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जसे विद्वान लोक तुम्हाला सुख देतात व तुमच्या हिताची इच्छा करतात, तसेच तुम्हीही त्यांच्याशी वागा. ॥ ३ ॥