Go To Mantra

इ॒ह प्र॒जामि॒ह र॒यिं ररा॑णा इ॒ह श्रवो॑ वी॒रव॑त्तक्षता नः। येन॑ व॒यं चि॒तये॒मात्य॒न्यान्तं वाजं॑ चि॒त्रमृ॑भवो ददा नः ॥९॥

English Transliteration

iha prajām iha rayiṁ rarāṇā iha śravo vīravat takṣatā naḥ | yena vayaṁ citayemāty anyān taṁ vājaṁ citram ṛbhavo dadā naḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

इ॒ह। प्र॒ऽजाम्। इ॒ह। र॒यिम्। ररा॑णाः। इ॒ह। श्रवः॑। वी॒रऽव॑त्। त॒क्ष॒त॒। नः॒। येन॑। व॒यम्। चि॒तये॑म। अति॑। अ॒न्यान्। तम्। वाज॑म्। चि॒त्रम्। ऋ॒भ॒वः॒। द॒द॒। नः॒ ॥९॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:36» Mantra:9 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:9


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (ऋभवः) बुद्धिमानो ! आप लोग (इह) इस संसार में (नः) हम लोगों के लिये (प्रजाम्) उत्तम सन्तान वा राज्य को (इह) इस संसार में (रयिम्) धन को और (इह) इस संसार में (वीरवत्) प्रशंसा करने योग्य वीरों के करनेवाले (श्रवः) अन्न वा श्रवण को (रराणाः) देते हुए (तक्षत) प्राप्त कराओ (येन) जिससे (वयम्) हम लोग (अन्यान्) औरों के प्रति (अति, चितयेम) उत्तम रीति से विज्ञान को कहें (तम्) उस (चित्रम्) अद्भुत (वाजम्) विज्ञान को (नः) हम लोगों के लिये (ददा) दीजिये ॥९॥
Connotation: - जब मनुष्य विद्वानों को प्राप्त होवें तब विज्ञान, सत्यश्रवण, धन, उत्तम प्रजा और शूरवीरयुक्त सेना की याचना करें, उनसे यथार्थ विद्या को प्राप्त होकर अन्यों को निरन्तर बोध करावें ॥९॥ इस सूक्त में विपश्चित् के गुण कृत्य वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पिछिले सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥९॥ यह छत्तीसवाँ सूक्त और आठवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे ऋभवो ! भवन्त इह नः प्रजामिह रयिमिह वीरवच्छ्रवो रराणाः सन्तस्तक्षत येन वयमन्यानति चितयेम तं चित्रं वाजं नो ददा ॥९॥

Word-Meaning: - (इह) अस्मिन् संसारे (प्रजाम्) उत्तमान् सन्तानान् राष्ट्रं वा (इह) (रयिम्) धनम् (रराणाः) ददमानाः (इह) (श्रवः) अन्नं श्रवणं वा (वीरवत्) प्रशस्तवीरकारम् (तक्षत) प्रापयत। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (नः) अस्मभ्यम् (येन) (वयम्) (चितयेम) चितिं संज्ञानमाचक्ष्महि (अति) (अन्यान्) (तम्) (वाजम्) विज्ञानम् (चित्रम्) अद्भुतम् (ऋभवः) (ददा) ददतु। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (नः) ॥९॥
Connotation: - यदा मनुष्या विदुषः सङ्गच्छन्ते तदा विज्ञानं सत्यश्रवणं धनमुत्तमां प्रजां शूरवीरयुक्तसेनां च याचन्तां तेभ्यो यथार्थां विद्यां प्राप्याऽन्यान् सततं बोधयेयुरिति ॥९॥ अत्र विपश्चिद्गुणकृत्यवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥९॥ इति षट्त्रिंशत्तमं सूक्तमष्टमो वर्गश्च समाप्तः ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जेव्हा माणसे विद्वानांचा संग करतात तेव्हा विज्ञान सत्यश्रवण, धन, उत्तम प्रजा व शूरवीर सेनेची याचना करावी. त्यांच्यापासून यथार्थ विद्या प्राप्त करून इतरांना सतत बोध करवावा. ॥ ९ ॥