Go To Mantra

त्वं ह्येक॒ ईशि॑ष॒ इन्द्र॒ वाज॑स्य॒ गोम॑तः। स नो॑ यन्धि म॒हीमिष॑म् ॥७॥

English Transliteration

tvaṁ hy eka īśiṣa indra vājasya gomataḥ | sa no yandhi mahīm iṣam ||

Mantra Audio
Pad Path

त्वम्। हि। एकः॑। ईशि॑षे। इन्द्र॑। वाज॑स्य। गोऽम॑तः। सः। नः॒। य॒न्धि॒। म॒हीम्। इष॑म् ॥७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:28» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य से युक्त विद्वान् जो (हि) जिससे (एकः) सहायरहित (त्वम्) आप (गोमतः) बहुत प्रकार की पृथिवी आदि के सहित (वाजस्य) विज्ञान आदि से युक्त जनसमूह के (ईशिषे) स्वामी हो (सः) वह (नः) हम लोगों के लिये (महीम्) बड़े (इषम्) अन्न आदि को (यन्धि) दीजिये ॥७॥
Connotation: - जो विद्वान् पुरुषार्थ से बड़े ऐश्वर्य्य को प्राप्त होकर अन्य जनों के लिये देता है, वही सब का ईश्वर होता है ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! यो ह्येकस्त्वं गोमतो वाजस्येशिषे स नो महीमिषं यन्धि ॥७॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (हि) यतः (एकः) असहायः (ईशिषे) (इन्द्र) परमैश्वर्य्ययुक्त विद्वन् ! (वाजस्य) विज्ञानादियुक्तस्य (गोमतः) बहुविधपृथिव्यादिसहितस्य (सः) (नः) अस्मभ्यम् (यन्धि) प्रयच्छ (महीम्) महतीम् (इषम्) अन्नादिकम् ॥७॥
Connotation: - यो विद्वान् पुरुषार्थेन महदैश्वर्य्यं प्राप्यान्येभ्यो ददाति स एव सर्वेषामीश्वरो भवति ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जो विद्वान, पुरुषार्थाने मोठे ऐश्वर्य प्राप्त करून इतरांना देतो तोच सर्वांचा ईश्वर असतो. ॥ ७ ॥