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प्र॒वता॒ हि क्रतू॑ना॒मा हा॑ प॒देव॒ गच्छ॑सि। अभ॑क्षि॒ सूर्ये॒ सचा॑ ॥५॥

English Transliteration

pravatā hi kratūnām ā hā padeva gacchasi | abhakṣi sūrye sacā ||

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Pad Path

प्र॒ऽवता॑। हि। क्रतू॑नाम्। आ। ह॒। प॒दाऽइ॑व। गच्छ॑सि। अभ॑क्षि। सूर्ये॑। सचा॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजप्रजाधर्मविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! आप (हि) जिससे (क्रतूनाम्) बुद्धि वा कर्म्मों के (प्रवता) नीचे मार्ग से (पदेव) पैरों के सदृश (आ, गच्छसि) आते हो इससे (ह) निश्चय वैसे ही (सचा) सत्य के साथ मैं (सूर्य्ये) सूर्य्ये में प्रकाश के सदृश धर्म्म का (अभक्षि) सेवन करता हूँ ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जैसे श्रेष्ठ विद्वान् लोग शुद्ध मार्ग से जाकर पूर्ण बुद्धि को प्राप्त होते हैं, वैसा ही अन्य जन भी वर्त्ताव करके बुद्धि को प्राप्त हों ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजाधर्मविषयमाह ॥

Anvay:

हे राजँस्त्वं हि क्रतूनां प्रवता मार्गेण पदेवागच्छसि तस्माद्ध तथैव सचा सहाहं सूर्य्ये प्रकाश इव धर्म्ममभक्षि ॥५॥

Word-Meaning: - (प्रवता) निम्नेन मार्गेण (हि) यतः (क्रतूनाम्) प्रज्ञानां कर्मणां वा (आ) (ह) खलु। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (पदेव) पद्भ्यामिव (गच्छसि) (अभक्षि) सेवे (सूर्ये) सवितरि (सचा) सत्येन ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यथाप्ता विद्वांसः शुद्धेन मार्गेण गत्वा पूर्णां प्रज्ञां प्राप्नुवन्ति तथैवेतरेऽपि वर्त्तित्वा प्रज्ञां प्राप्नुवन्तु ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जसे श्रेष्ठ विद्वान लोक शुद्ध मार्गाने जाऊन पूर्ण बुद्धी प्राप्त करतात तसे इतर लोकांनीही वर्तन करून बुद्धी प्राप्त करावी. ॥ ५ ॥