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अ॒भी न॒ आ व॑वृत्स्व च॒क्रं न वृ॒त्तमर्व॑तः। नि॒युद्भि॑श्चर्षणी॒नाम् ॥४॥

English Transliteration

abhī na ā vavṛtsva cakraṁ na vṛttam arvataḥ | niyudbhiś carṣaṇīnām ||

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Pad Path

अ॒भि। नः॒। आ। व॒वृ॒त्स्व॒। च॒क्रम्। न। वृ॒त्तम्। अर्व॑तः। नि॒युत्ऽभिः॑। च॒र्ष॒णी॒नाम् ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! आप (नः) हम लोगों को (वृत्तम्) सब प्रकार से दृढ़ (चक्रम्) चक्र के (न) सदृश श्रेष्ठ कर्म्मों में (अभि, आ, ववृत्स्व) सब ओर से अच्छे प्रकार वर्त्ताइये (नियुद्भिः) और वायु के गमनों के सदृश वेगों के साथ (चर्षणीनाम्) मनुष्यों के (अर्वतः) घोड़ों को वर्त्ताईये ॥४॥
Connotation: - हे राजन् ! आप सत्य न्याय में वर्त्ताव करके हम लोगों का भी उसी के अनुसार वर्त्ताव कराइये ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे राजँस्त्वं नोऽस्मान् वृत्तं चक्रं न सत्कर्मस्वभ्याववृत्स्व नियुद्भिः सह चर्षणीनामर्वतश्चाभ्याववृत्स्व ॥४॥

Word-Meaning: - (अभि) अत्र संहितायामिति दीर्घः। (नः) अस्मान् (आ) (ववृत्स्व) आवर्तय (चक्रम्) (न) इव (वृत्तम्) सर्वतो दृढम् (अर्वतः) अश्वान् (नियुद्भिः) वायुगतिभिरिव वेगैः (चर्षणीनाम्) मनुष्याणाम् ॥४॥
Connotation: - हे राजन् ! भवान्सत्ये न्याये वर्तित्वास्मानपि वर्तयतु ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा! तू सत्य, न्यायाने वागावेस व आमच्याकडूनही त्यानुसार आचरण करवून घ्यावेस. ॥ ४ ॥