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श॒तम॑श्म॒न्मयी॑नां पु॒रामिन्द्रो॒ व्या॑स्यत्। दिवो॑दासाय दा॒शुषे॑ ॥२०॥

English Transliteration

śatam aśmanmayīnām purām indro vy āsyat | divodāsāya dāśuṣe ||

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Pad Path

श॒तम्। अ॒श्म॒न्ऽमयी॑नाम्। पु॒राम्। इन्द्रः॑। वि। आ॒स्य॒त्। दिवः॑ऽदासाय। दा॒शुषे॑ ॥२०॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:30» Mantra:20 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:20


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर सूर्यदृष्टान्त से राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (इन्द्रः) तेजस्वी सूर्य्य के सदृश (दिवोदासाय) प्रकाश के सेवनेवाले और (दाशुषे) देनेवाले के लिये (अश्मन्मयीनाम्) मेघों के समूहों के सदृश पाषाणों से बने हुए (पुराम्) नगरों के (शतम्) सैकड़े को (वि, आस्यत्) काटे, वही विजयी होने के योग्य होवे ॥२०॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे राजन् ! जो आप बहुत बढ़े हुए मेघों को जैसे सूर्य्य वैसे अनेक शत्रुओं के नगरों को जीत सकें तो राज्यलक्ष्मी और यश को प्राप्त होने के योग्य होवें ॥२०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सूर्यदृष्टान्तेन राजविषयमाह ॥

Anvay:

य इन्द्रो रविरिव दिवोदासाय दाशुषेऽश्मन्मयीनां पुरां शतं व्यास्यत् स एव विजयी भवितुमर्हेत् ॥२०॥

Word-Meaning: - (शतम्) (अश्मन्मयीनाम्) मेघप्रचुराणामिव पाषाणनिर्मितानाम् (पुराम्) नगरीणाम् (इन्द्रः) (वि) (आस्यत्) व्यसेच्छिन्द्यात् (दिवोदासाय) प्रकाशस्य सेवकाय (दाशुषे) दात्रे ॥२०॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे राजन् ! यदि त्वमतिप्रवृद्धानां मेघानां सूर्य्यवदनेकानि शत्रुपुराणि जेतुं शक्नुयास्तर्हि राज्यश्रियं कीर्तिञ्चाप्तुमर्हेः ॥२०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे राजा ! मेघांची वाढ झाल्यास सूर्य जसा त्यांना जिंकतो तसे अनेक शत्रूंच्या नगरांना जिंकल्यास राज्यलक्ष्मी व यश प्राप्त होईल. ॥ २० ॥