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उ॒त त्यं पु॒त्रम॒ग्रुवः॒ परा॑वृक्तं श॒तक्र॑तुः। उ॒क्थेष्विन्द्र॒ आभ॑जत् ॥१६॥

English Transliteration

uta tyam putram agruvaḥ parāvṛktaṁ śatakratuḥ | uktheṣv indra ābhajat ||

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Pad Path

उ॒त। त्यम्। पु॒त्रम्। अ॒ग्रुवः॑। परा॑ऽवृक्तम्। श॒तऽक्र॑तुः। उ॒क्थेषु॑। इन्द्रः॑। आ। अ॒भ॒ज॒त् ॥१६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:30» Mantra:16 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (शतक्रतुः) असंख्यबुद्धियों वा (इन्द्रः) अत्यन्त ऐश्वर्य्यवान् राजा (उक्थेषु) प्रशंसा करने योग्य शास्त्रों में (त्यम्) उस (परावृक्तम्) नहीं नष्ट हुए पराक्रमवाले (पुत्रम्) पुत्र को (अग्रुवः) अग्रगामियों के सदृश (आ, अभजत्) सब प्रकार सेवन करता है (उत) और शिक्षा भी देवे, वह सिद्धकार्य्य होवे ॥१६॥
Connotation: - जो राजा माता पुत्रों का जैसे वैसे प्रजाओं का पालन करे, उसको प्रजाजन पिता के समान मानें ॥१६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यश्शतक्रतुरिन्द्र उक्थेषु त्यं परावृक्तं पुत्रमग्रुव इवाऽभजदुतापि शिक्षेत स सिद्धकार्य्यो भवेत् ॥१६॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (त्यम्) तम् (पुत्रम्) (अग्रुवः) अग्रसराः (परावृक्तम्) अच्छिन्नवीर्य्यम् (शतक्रतुः) असंख्यप्रज्ञः (उक्थेषु) प्रशंसनीयेषु शास्त्रेषु (इन्द्रः) परमैश्वर्य्यवान् (आ) (अभजत्) समन्तात् सेवते ॥१६॥
Connotation: - यो राजा मातरोऽपत्यानीव प्रजाः पालयेत्तं प्रजाः पितरमिव मन्येरन् ॥१६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माता पुत्रांचे जसे पालन करते तसे जो राजा प्रजेचे पालन करतो त्याला प्रजेने पित्याप्रमाणे मानावे. ॥ १६ ॥